Jharkhand Election 2019 LJP-AJSU ने छोड़ा साथ
नई दिल्ली : झारखंड (Jharkhand Election 2019) में चुनावी बिगुल बज चुका है। हालांकि इस बीच सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के लिए बनी हुई है। कारण है कि चुनाव के ठीक पहले बीजेपी के दोनों सहयोगी AJSU और LJP उससे दूरियां बना चुके हैं। तो झारखंड चुनाव (Jharkhand Election 2019) के पहले NDA में दरार पड़ चुकी है और विपक्ष उतना ही मजबूती से आगे आ रहा है। तो क्या हैं राज्य के मौजूदा समीकरण ?
Jharkhand Election 2019 की तारीखों का एलान हो चुका है। लेकिन कौन किसके साथ है और कौन किसके खिलाफ ? ये कहना अभी भी मुश्किल नजर आता है। कारण है कि राज्य की मौजूदा सरकार में बीजेपी का साथ देने वाली आजसू ने इस बार बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर ये साथ रहेगा कैसे ? कारण है कि रघुवर सरकार में शामिल आजसू को लगता है कि उसे उनती तव्वजो नहीं मिली है, जितनी कि मिलना चाहिए थी।
दरअसल आजसू चाहती थी कि उसे राज्य में बीजेपी के साथ बराबरी का अधिकार मिले और कम से कम 17 सीटों पर आजसू के प्रत्याशी मैदान में हो, लेकिन आजसू की ये शर्त बीजेपी को मंजूर नहीं है। बीजेपी का कहना है कि 9 सीटें हमने अभी भी छोड़ रखीं हैं, उनपर साथ रहना है तो रह सकते हैं। लेकिन ये बात अब आजसू को हजम नहीं है।
अलग हुई बीजेपी-आजसू की राहें
- झारखंड के बनने के साथ ही साल 2000 में बने बीजेपी और आजसू गठबंधन की राहें अलग हो गईं
- आजसू ने एक सीट से यात्रा शुरू की थी
- बिहार विधानसभा के लिए चुने गए आजसू के एक मात्र विधायक सुदेश कुमार महतो बीजेपी सरकार में जुड़े
- उसके बाद बीजेपी की जितनी भी सरकारें बनी, आजसू उसके साथ रही
- आजसू के साथ पिछले चुनाव में बीजेपी का फूलप्रूफ गठबंधन बना था
- बीजेपी 72, आजसू 8 और 1 सीट पर एलजेपी लड़ी थी
- 2014 के चुनाव में बीजेपी को 37 सीटें मिलीं, आजसू ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की
- बीजेपी और आजसू गठबंधन की सरकार बनी
- पांच साल में झारखंड की राजनीति में काफी उठा-पटक हुई
क्यों टूटा गठबंधन ?
- आजसू जिन सीटों पर 2014 में दूसरे स्थान पर या जीती हुई थी, उन्हीं सीटों पर उसने दावेदारी की
- बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला
- बीजेपी आजसू के दावे को खारिज करती रही और आजसू अड़ी रही
- बीजेपी प्रदेश नेतृत्व ने आजसू के साथ सीटों के तालमेल को लेकर रणनीति नहीं बनाई
- दोनों के बीच समन्वय का अभाव दिखा
- सब कुछ दिल्ली के भरोसे छोड़ दिया गया
- दिल्ली ने झारखंड की जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर तालमेल के लिए आजसू को कोई तवज्जो नहीं दी
Jharkhand Election 2019 के समीकरण
कब-कब कितनी सीटों पर लड़ी ?
2005 विधानसभा चुनाव
- बीजेपी – 63 पर लड़ी, 30 सीटें जीती
- आजसू – 40 सीटों पर लड़ी, 2 पर जीती
2009 विधानसभा चुनाव
- बीजेपी- 67 सीट पर लड़ी, 18 सीटें जीती
- आजसू- 54 सीट पर लड़ी, पांच सीटें जीती
2014 विधानसभा चुनाव
- बीजेपी – 72 सीटों पर लड़ी, 37 पर जीती
- आजसू- 08 सीटों पर लड़ी, 5 जीती
चुनाव के मुहाने पर मौजूद झारखंड का अगला सुल्तान कौन होगा ? ये बड़ा सवाल है। बड़ा सवाल इसलिए भी कि क्योंकि 19 साल के झारखंड ने अब तक 10 मुख्यमंत्रियों के शासन को देखा है। हालांकि विकास का पहिया अभी भी झारखंड में फंसा हुआ है। जो होना चाहिए था वो अब तक झारखंड में नहीं हो पाया है। बीजेपी के साथ तमाम दल एक बार फिर राज्य में जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को लेकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन जनता इसबार किसका साथ देगी ये कहना फिलहाल जल्द बाजी होगा।