Kapil Sibbal News : इलाहाबाद हाई कोर्ट की रेप से जुड़े एक मामले में की गई टिप्पणी पर कानून विशेषज्ञों ने शुक्रवार, 22 मार्च को कड़ी निंदा की है। दरअसल रेप से जुड़े एक मामले में इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि “एक लड़की के निजी अंग को पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास नहीं माना जा सकता है।”
कपिल सिब्बल ने जताई नाराजगी
इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच के इस बयान पर सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ट्वीट करते हुए लिखा “भगवान ऐसे न्यायाधीशों से इस देश की रक्षा करें जो पीठ की शोभा बढ़ा रहे हैं! सर्वोच्च न्यायालय दोषी न्यायाधीशों से निपटने में बहुत नरम रहा है!”
कपिल सिब्बल ने कहा कि “हाईकोर्ट के जजों को इस तरह की टिप्पणियों से बचना चाहिए। उनके इस बयान से समाज में गलत सन्देश जाएगा। लोगों का न्यायपालिका के न्याय से भरोसा उठ जाएगा।” साथ ही कपिल सिब्बल ने जजों से संयम बरतने की भी सलाह दी है। इस तरह की टिप्पणियों से ज्यूडिशियरी के ऊपर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने बलात्कार के प्रयास जैसे जघन्य अपराध को कमतर करके आंका है, इस तरह का फैसला न्याय के लिए उपहास है।”
क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि, यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 साल की एक लड़की से जुड़ा है। यहां साल 2021 में दो लोगों ने एक लड़की के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि ” केवल निजी अंगों को पकड़ना और पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार के अपराध नहीं माना जाता है।”