Badrinath Dham News : बद्रीनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं और मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बद्रीनाथ पहुंचे और बदरी विशाल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा पूरी तरह से प्रारंभ हो गई है, जिसमें श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन कर सकते हैं।
15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है मंदिर
बद्रीनाथ धाम के कपाट आज रविवार को सुबह 6 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण और “जय बदरीविशाल” के उद्घोष के साथ विधि-विधान से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे जिन्होंने कपाट खुलने के साक्षी बने। बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। शीतकाल के दौरान मंदिर बंद रहता है और उस समय भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा में शामिल अन्य धामों गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट भी खुल गए हैं, और भक्त दर्शन का लाभ ले रहे हैं।
बद्रीनाथ धाम का क्या है महत्व?
बद्रीनाथ धाम हिंदुओं के चार धामों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है, जिसमें उनकी पूजा की जाती है। बद्रीनाथ धाम की मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा जाता है, जहां भगवान विष्णु 6 माह तक निद्रा में रहते हैं और 6 माह तक जागते हैं। बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने सतयुग में की थी, और यह धाम हिमालय के सबसे पुराने तीर्थों में से एक है।
सभी धामों के खुले कपाट
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई है, जो चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मुक्ति प्राप्त होती है। बद्रीनाथ धाम चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के दर्शन भी शामिल हैं।
बद्रीनाथ धाम के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है, “जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी”, जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है, उसे पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता है या गर्भ में नहीं आना पड़ता है। यानी बद्रीनाथ के दर्शन करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो जाता है और उसे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।