Subhadra Kumari Chauhan Google Doodle : Subhadra kumari Chauhan Birth Anniversary – कवयित्री के रूप में महादेवी वर्मा को खोजने का श्रेय सुभद्राकुमारी चौहान को ही जाता है। दोनों में आजीवन स्नेह बना रहा। 1919 में विवाह के बाद सुभद्रा जी जबलपुर रहने लगीं थीं। जब भी वे इलाहाबाद (प्रयागराज) आतीं महादेवी के घर जरुर रुकती थीं।
नई दिल्ली : प्रयागराज, सुभद्राकुमारी चौहान तब केवल छह वर्ष की थीं। गांव की भड़भूजे वाले की पत्नी उनके घर आई थी और उनकी मां से किसी तरह का अपना दुखड़ा रो रही थी। सुभद्रा जी की मां उस समय रसोई घर में थीं। वहीं से उस भड़भूजे वाली को हिदायत देते हुए बोलीं ‘चौखट को मत छूना, दूर से ही बात करो’। छुआछूत की भावना से सुभद्राकुमारी का यह प्रथम परिचय था। छुआछूत का विरोध करते हुए उनकी मां से खूब बहस हुई। जब मां नहीं सहमत हुईं तब उन्होंने कहा कि ‘मां तब तुम धरती के भी दो टुकड़े कर दो’।
सुभद्रा कुमारी चौहान गूगल डूडल : आखिर कौन थी “खूब लड़ी मर्दानी” वाली सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म- 16 अगस्त 1904
निधन- 15 फरवरी 1948
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कक्षा नौ तक ही पढ़ाई कर सकीं सुभद्राकुमारी चौहान
समालोचक रविनंदन सिंह बताते हैं कि सुभद्राकुमारी चौहान कक्षा नौ तक ही पढ़ाई कर पाईं। उसके पश्चात उनका 1919 में विवाह हो गया तथा एक वर्ष बाद ही पति के साथ गांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़ीं। जब वे क्रास्थवेट में कक्षा आठ की छात्रा थीं और बोर्डिंग में रहतीं थी, उसी वर्ष महादेवी वर्मा कक्षा छह में प्रवेश लेकर वहां आ गईं। दोनों को एक ही कमरा मिला हुआ था। एक दिन सुभद्रा जी ने देखा कि महादेवी डायरी में कुछ छुपाकर लिख रहीं हैं। उन्होंने डायरी दिखाने को कहा तब महादेवी ने संकोचवश नहीं दिखाया। इस पर सुभद्राकुमारी ने उनकी डायरी छीनकर देख लिया। उसमें कविताएं थीं। सुभद्राकुमारी यह देखकर बहुत प्रसन्न हुईं और पूरे होस्टल में घूम-घूमकर छात्राओं को वह डायरी दिखाई और महादेवी के कविता लिखने का प्रचार किया ।
इस प्रकार कवयित्री के रूप में महादेवी वर्मा को खोजने का श्रेय सुभद्राकुमारी चौहान को ही जाता है। दोनों में आजीवन स्नेह बना रहा। 1919 में विवाह के बाद भी सुभद्रा जी जबलपुर रहने लगीं थीं। जब भी वे इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आतीं तब वह महादेवी के घर ही रुका करती थी। महादेवी जब कालेज में होतीं तब वह उनकी सहायक भक्तों के साथ घंटों बातें किया करती थीं।
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