नई दिल्ली: वैसे तो गाय के गोबर (Cow-Dung) का ईंधन के रूप में और धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन यूपी के मेरठ की ग्रामीण महिलाओं को इसे रोजगार का बेहतरीन जरिया बना लिया है। मेरठ के अम्हैड़ा गांव की महिलाएं गाय के गोबर से न केवल दीपक, बल्कि डिस्टेंपर बनाती हैं। इतना ही नहीं गोबर से बने इन प्रोडक्ट्स को महिलाएं ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से बाजार में उतारी हैं। जहां इन प्रोडक्ट्स की इतनी डिमांड आ रही है कि पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
गांव के रहने वाले समाज सेवी अतुल शर्मा ने पीएम मोदी के आत्मनिर्भर अभियान को सूत्रवाक्य मानते हुए इसकी शुरुआत की. बाद में गांव की महिलाएं इससे जुड़ती चली गईं और कारवां बढ़ता चला गया। आज ग्यारह महिलाएं मिलकर इस काम को आगे बढ़ा रही हैं।
महिलाओं ने बताया कि वे गाय के गोबर और गौमूत्र से दीपक तैयार करती हैं। इसमें कपूर भी मिलाया जाता है। यह दीपक जलने के साथ-साथ सोंधी ख़ुशबू बिखेरता है और तब तक जलता है जब तक ये राख न हो जाए। अतुल शर्मा ने बताया कि उनके साथ काम करने वाली प्रत्येक महिलाएं रोजाना दो सौ से तीन सौ रुपए तक की कमाई कर ले रही हैं। गाय के गोबर से बना दीपक दो रुपए में जबकि डिस्टेंपर पचास रुपए किलो बिकता है।
महिलाओं का कहना है कि उनके लिए ये गाय की सेवा करने जैसा है। हिन्दू धर्म में गाय की सेवा को पुण्य काम माना जाता है। महिलाओं की माने को गाय के गोबर से मच्छर भगाने वाला प्रोडक्ट भी तैयार किया जा सकता है।