प्रयागराज का गुलाबी अमरूद देश ही नहीं विश्व में भी फेमस है। ऐसे में इस बार उपज में भारी कमी और क्वालिटी में गिरावट से किसान परेशान हैं।
जनतंत्र डेस्क Prayagraj: इलाहाबाद का नाम भले ही प्रयागराज हो गया हो, लेकिन यहां के प्रसिद्ध गुलाबी अमरूद तो इलाहाबादी की कहलाएंगे। संगम नगरी की आर्थिक पहचान गुलाबी अमरूद से है, लेकिन इस बार अमरूद की इस किस्म पर मौसम की मार पड़ी है। बेमौसम बारिश और उपज में भारी कमी के कारण गुलाबी अमरूद बाजार से गायब हैं।
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फल एवं सब्जी व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुशवाहा के मुताबिक, इस बार गुलाबी अमरूद की फसल बर्बाद हो गई। इसका कारण भारी बारिश और तापमान में कमी है। वहीं, कच्चे अमरूदों को ही कीट निशाना बना रहे हैं। जिससे अमरूद की उपज 25 प्रतिशत रह गई है। ऐसे में अगर ये फल उपलब्ध भी है तो उसकी क्वालिटी बेहद खराब है। किसान इसके लिए सरकारी मशीनरी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वे कहते हैं कि किसी सरकारी मुलाजिम ने खेतों का दौरा कर हालातों पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।
किसानों की अजीविका पर गहरा संकट
प्रयागराज का गुलाबी अमरूद देश ही नहीं विश्व में फेमस है। ऐसे में इस बार उपज में भारी कमी और क्वालिटी में गिरावट से किसान परेशान हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि क्षेत्र में अमरूद के कई किसान अब आजीविका के वैकल्पिक साधनों की तलाश कर रहे हैं।
प्रयागराज के गुलाबी अमरूदों का इतिहास
सेब जैसे लाल सुर्ख संगम नगरी के इन अमरुदों का नाता मुगलकाल से है। उस दौर में भी ये खासे मशहूर थे। बताया जाता है, मुगल शासक अकबर के बेटे जहांगीर ने इलाहाबाद में खुसरो बाग का निर्माण कराया था। जिसमें कई तरह के पौधे लगाये गए थे, जिसके एक हिस्से में अमरुदों की खेती की गई थी। जो बेहद लाजबाव किस्म और स्वाद के लिए दुनियाभर में मशहूर थे। आज भी मुगलकाल के इस बाग में अमरूदों की खेती की जाती है। यहां के अमरूद के पौधों की नर्सरी भी है। जिसकी मांग देश विदेश तक है।