जनतंत्र डेस्क, राजस्थान: समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने का बीड़ा अगर प्रशासनिक महकमा उठा ले तो समानता की धारणा को सच होते देखना सपने जैसा नहीं हकीकत सा होगा। सदियों से समाज में मौजूद इन कुरीतियों को खत्म करना आसान नहीं होगा, लेकिन मुश्किल भी तब तक है जब तक कोशिश न की जाए। राजस्थान में सिविल सेवकों ने ये जिम्मेदारी संभाली है। यहां बूंदी जिले में प्रशासन ने दलित दूल्हे श्रीराम मेघवाल की बिंदोरी को पुलिस सुरक्षा के बीच निकलवाया।
बूंदी की कलेक्टर रेनू जयपाल, एसपी जय यादव सहित विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी बिंदोरी में शामिल भी हुए और पुष्प वर्षा कर बारातियों का स्वागत किया। इतना ही नहीं प्रशासन ने 30 गांव ऐसे चिह्नित किए हैं, जहां दलित दूल्हे कभी घोड़ी पर नहीं बैठे। फिर क्या था प्रशासन ने एक मुहीम छेड़ दी, जिसे नाम दिया ऑपरेशन समानता।
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दरअसल, बूंदी जिले के चड़ी गांव में दलित दूल्हा-दुल्हन ने प्रशासन से गुहार लगाई थी कि, उनकी बिंदोरी घोड़ी पर निकले। जिसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा और डीजे की धुन पर परिवार के लोग नाचते हुए दिखाई दिए। ये बारात बख्शपुरा से आई थी। दूल्हा श्रीराम भी ग्रेजुएट है। दरअसल, जिले में दूल्हों को घोड़ी से उतारने की पहले कई घटनाएं सामने आई हैं। इससे गांव में सामाजिक सदभाव, कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो जाती है। इसीलिए प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई गई थी।
क्या है ऑपरेशन समानता
दलित दुल्हे की घोड़ी पर बिंदोरी निकालने के लिए खुद बूंदी की कलेक्टर रेनु जयपाल और एसपी जय यादव मौजूद रहे। प्रशासन के ऑपरेशन ‘समानता’ का मकसद दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने जैसी घटनाओं को रोकना, ऐसी परिपाटी को तोड़ना, गांवों में संवैधानिक अधिकार दिलाना और सामाजिक समरसता कायम रखना है। पुलिस ने सर्वे कर ऐसे 25 से 30 गांव चुने हैं, जहां ऑपरेशन समानता समितियां बनाई गई हैं। हर समिति में गांव के हर समाज से दो-दो लोग, सरपंच, पुलिस मित्र, ग्रामरक्षक, सीएलजी सदस्य, सुरक्षा सखी शामिल किए गए हैं।