जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक अपनी नई क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया है। आरबीआई ने ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने रेपो रेट 4% पर बरकरार रखा है। जबकि वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35% पर बना रहेगा। वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.8% वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कमिटी ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर स्थित रहेगी. जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSFR) और बैंक रेट 4.25 फीसदी रहेगा। पॉलिसी का रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखा गया है।
यह दसवीं बार है जब आरबीआई ने ऋण दर में बदलाव नहीं किया है ताकि कोविड महामारी के बीच इन दरों को उदार रखा जा सके। बजट से पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में इस साल जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 9.2% रखा गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक राजस्व घाटा जीडीपी के 4.5% तक पहुंचने की बात कही गई है।
2022-23 में राजस्व घाटा जीडीपी का 6.4% रहने का अनुमान है। 2021-22 में संशोधित राजस्व घाटा जीडीपी का 6.9% बताया गया है। 2022-23 में कुल खर्च 39.45 ट्रिलियन रुपए होने का अनुमान है। शक्तिकांत दास ने कहा कि मॉनिटरी कमिटी के लिए 6 में से 5 सदस्य पॉलिसी रुख ‘अकोमोडेटिव’ रखने के पक्ष में थे।
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट इसके उलट होता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी कंट्रोल किया जाता है।