नई दिल्ली: Anant Chaturdashi 2021: सनातन धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जाता है। इस बार यह 19 सितंबर को है। अनंत यानी जिसका न आदि हो और न अंत अर्थात स्वयं नारायण। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु सृष्टि की शुरुआत में 14 लोकों की रचना की थी। साथ ही इन लोक की रक्षा व पालन के लिए भगवान स्वयं 14 रूपों में प्रकट हुए थे। जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसी लिए इस दिन भगवान के 14 रूपों की पूजा की जाती है।
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Anant Chaturdashi 2021: महाभारत से सम्बंधित है अनंत चतुर्दशी
पुराणों में अनंत चतुर्दशी की कथा के महाभारत से सम्बंधित होने का उल्लेख मिलता है। पांडवों के राज्यहीन हो जाने पर श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का सुझाव दिया। साथ ही इसका भरोसा भी दिया इससे पांडवों को हर हाल में राज्य वापस मिलेगा। युधिष्ठिर ने जब पूछा- यह अनंत कौन हैं? तब श्रीकृष्ण ने कहा कि अनंत श्रीहरि के ही स्वरूप हैं। इस व्रत में स्नानादि करने के बाद अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के सूत से बने और हल्दी से रंगे हुए चौदह गांठ के अनंत को सामने रखकर हवन किया जाता है। प्रत्येक गांठ में नारायण के विभिन्न नामों से पूजा करने का विधान है। श्री नारायण के 14 नाम इस प्रकार हैं – अनंत, त्रषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविंद।
Anant Chaturdashi 2021: गणपति विसर्जन भी इसी दिन होता है
इस अनंत सूत्र को भगवान की प्रतिमा के समक्ष रखकर उसकी पूजा की जाती है। फिर अनंत देव का ध्यान करके इस शुद्ध अनंत भुजा या हाथ में बांधते हैं। ध्यान रखें कि महिलाएं अपने बाएं व पुरूष दाएं भूजा में इसको धारण करते है। ऐसी मान्यता है कि अनंत सूत्र को बांधने से व्यक्ति हर कष्ट से दूर रहता है। साथ ही जो व्यक्ति विधि पूर्वक भगवान की पूजा करता है उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा प्रथम पूज्य गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन भी इसी दिन किया जाता है। विसर्जन करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं- सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक। दोपहर 1.30 बजे से 3 बजे तक। शाम को 6 बजे से सूर्यास्त से पहले तक। ध्यान रखें सूर्यास्त से पहले प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए।