Article 370 verdict: सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के आदेश को बरकरार रखा है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, “राष्ट्रपति केंद्र की सहमति से संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में लागू कर सकते थे और इसके लिए राज्य विधानसभा की सहमति लेने की भी आवश्यकता नहीं थी। सीजेआई ने आगे कहा कि, केंद्र राष्ट्रपति की भूमिका के तहत राज्य सरकार की पावर का उपयोग कर सकता है। कोर्ट का मानना है कि अुनच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के बाद प्रयोग की जाने वाली शक्तियों पर प्रतिबंध हैं।
चार साल बाद
बता दें कि, आर्टिकल 370 काफी पहले ही लागू हो गया था और इसके लागू होने के चार साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यानी आज 11 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ डीवाई चंद्रचूड़ फैसला सुनाया।
जम्मू कश्मीर में चुनाव
आर्टिकल 370 को निरस्त करने के बाद कोर्ट ने भारत के चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के निर्देश दिये हैं। अनुच्छेद 370 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था, और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है।”