नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी विवाद (Bharat China Border Dispute) को लेकर देश भर में जहाँ चीन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, वही चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की भी अपील की जा रही है। सोशल मीडिया पर भले ही चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का अभियान चलाया जा रहा हो और लोग चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का प्रण भी ले रहे हो, लेकिन हकीकत ये है कि भारत में चीन के कारोबार की जड़ें इतनी गहरी है कि चीनी वस्तुओं से हम चाहकर भी पीछा नहीं छुड़ा सकते।
जब कभी “थोड़ा सस्ता, थोड़ा टिकाऊ और थोड़ा नया” का जिक्र होता है, हमारे जेहन में चीनी वस्तुओं का ही ख्याल आता है, चाहे व चीनी मोबाइल हो, चीनी स्मार्ट टीवी हो, या फिर कुछ और। साल 2000 के बाद चीन ने लगातार भारत में अपने कारोबार को बढ़ाया है और भारतीय कारोबार में अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। वही चीन की तुलना में भारत ने चीन में अपने कारोबार को उतनी धार नहीं दी, लिहाज़ा भारत चीन के बीच कारोबार में भारत को हर साल हज़ारों करोड़ का व्यपारिक घाटा होता है।
Bharat China Border Dispute : चीन और भारत के बीच कारोबार पर एक नज़र
दोनों देशों के बीच कारोबारिक रिश्ते हैं और दोनों देश एक दूसरे से सामानों का निर्यात व आयात करते हैं। चीन भारत को मशीनरी, टेलिकॉम उपकरण, बिजली से जुड़े उपकरण, ऑर्गैनिक केमिकल्स यानी जैविक रसायन और खाद बेचता है। वही भारत चीन के बाज़ार में कॉटन यानी कपास, कॉपर यानी तांबा, हीरा और अन्य प्राकृतिक रत्न, दवाइयां, आईटी सेवाएं, इंजीनियरिंग सेवाओं के अलावा चावल, चीनी, कई तरह के फल और सब्ज़ियां, मांस उत्पाद, सूती धागा और कपड़ा बेचता है। चीन का भारत के बाज़ार में दबदबा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2018 में दोनों देशों के बीच 95.54 अरब डॉलर का कारोबार हुआ, लेकिन इसमें भारत ने जो सामान निर्यात किया उसकी क़ीमत 18.84 अरब डॉलर थी। जाहिर है, इस कारोबार में चीन को जबरदस्त फ़ायदा हुआ, जबकि भारत को व्यपारिक घाटा।
तो क्या कम नहीं हो सकती चीन पर भारत की निर्भरता ?
चीन से जारी मनमुटाव के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि भारत किस तरह चीन पर अपनी निर्भरता कम करेगा। भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन्स से लेकर स्मार्टटीवी, लाइट्स, मोबाइल उपकरण और खिलौने, तमाम ऐसी चीजें हैं, जिसमें चीनी कंपनियों का दबदबा है। चीनी वस्तुओं की तुलना में भारत में बनने वाले सामान की कीमत अपेक्षाकृत ज्यादा होती है, यही वजह है कि लोगों का झुकाव चीनी वस्तुओं की ओर होता है। भारत को अगर चीन पर अपनी निर्भरता कम करनी है तो उत्पाद को बढ़ावा देना होगा, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वस्तुओं की कीमत चीनी वस्तुओं की तरह ही सस्ती हो। हालाँकि हाल के दिनों में सरकार इस दिशा में प्रयासरत भी नज़र आ रही है।
भारत में प्रमुख चीनी कंपनी
- चीन की भारत में प्रमुख कंपनियों में ओपो ने 2018-19 में कुल 1.8 अरब डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया है।
- विवो ने इसी अवधि में 1.5 अरब डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया है।
- Xiaomi भारत में अपने सारे स्मार्टफोन Redmi और Mi के नाम से बेचती है। इसके अलावा Poco के नाम से भी स्मार्टफोन बेच रही है।
- फोसन इंटरनेशनल हेल्थकेयर कंपनी है और इसने 15.9 अरब डॉलर का रेवेन्यू जनरेट किया है।
- मीडिया होम अप्लायंस कटेगरी की कंपनी है इसने 38.6 अरब डॉलर का रेवेन्यू 2018-19 में जनरेट किया है। इसकी क्षमता 5 लाख रेफ्रिजरेटर, 6 लाख
- वॉशिंग मशीन और 10 लाख घरेलू उपकरणों कि निर्माण की है।
- सैक ऑटोमोटिव कंपनी है। यह सालाना 80 हजार यूनिट का निर्माण करती है। इसका रेवेन्यू 5.9 अरब डॉलर का रहा है।
- हायर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है। इसका रेवेन्यू 12.4 अरब डॉलर रहा है।