नई दिल्ली : भारत चीन सीमा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। ताज़ा मामले में लद्दाख में भारत-चीन के सैनिकों के बीच मुठभेड़ की खबर आई तो हड़कंप मच गया और गलवान घाटी चर्चा में आ गई। गलवान घाटी में पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस खूनी झड़प में भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैनिक शहीद हो गए। दूसरी तरफ इस झड़प में चीनी सेना के भी पांच सैनिकों के मारे जाने और 11 जवानों के गंभीर तौर पर घायल होने की खबर है। हालांकि, चीन की सेना की तरफ से अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार ने सोशल साइट पर यह जानकारी दी है कि चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
ये घटना तब हुई जब सोमवार रात को गलवान घाटी के पास दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सबकुछ सामान्य होने की स्थिति आगे बढ़ रह थी। वहीं भारत भी इस पर तुरंत हरकत में आ गया और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आनन-फानन में हाई लेवल मीटिंग बुलाई और चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, तीनों सेना प्रमुख के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ लद्दाख के हालात पर चर्चा की।
भारत चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी का इतिहास
गलवान घाटी की बात करें तो ये घाटी भारतीय इतिहास में पहले भी चर्चा में रही है, वजह है 1962 का भारत-चीन युद्ध। इसी घाटी में चीनी सेना ने उस वक्त भी भारत को धोखा दिया था। अब भी वही इतिहास दोहराया गया है। गलवान घाटी का पूरा इलाका लद्दाख में आता है। यहीं नदी भी बहती है। यहां के विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना टेंट लगाती है, जिसका विरोध भारत करता है। जानकार बताते हैं कि चीनी सेना का यहां टेंट लगाने का मकसद दरअसल भारतीय सेना को उकसाना होता है। 1962 में भारत-चीन के बीच जो युद्ध हुआ, उस वक्त पहली बार तनाव इसी घाटी से शुरू हुआ। अब फिर भारतीय सैनिकों के मारे जाने से तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि कांग्रेस का भी यही कहना है कि पिछले पांच दशक से कोई ऐसी घटना सामने नहीं आई।
चीन की धोखेबाज़ी, भारत पर लगाया घुसपैठ का आरोप
इस घटना के बाद चीनी विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान आया जिसमें बीजिंग ने उलटे भारत पर घुसपैठ करने का आरोप लगाया है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत से कहा है कि कोई भी एक तरफा कारवाई न करें या परेशानी न बढ़ाएं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मामले को लेकर कहा है कि बॉर्डर क्रॉस करने या किसी भी एक तरफा कारवाई करने से बॉर्डर के हालात जटिल हो सकते हैं। उन्होंने आग्रह किया है कि भारत सैनिकों को सख्ती करने से रोके। चीन और भारत बातचीत के जरिए बॉर्डर मसले को सुलझाने के लिए सहमत है।
मई महीने की शुरुआत से सीमा पर बरक़रार है तनाव
दरअसल भारत और चीन के बीच पिछले महीने की शुरुआत से ही लद्दाख बॉर्डर के पास माहौल काफी तनावपूर्ण बना हुआ था। मई महीने के शुरुआत में चीनी सैनिकों ने भारत की तरफ से तय की गई एलएसी को पार कर लिया था। चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील, गलवान घाटी के पास आकर अपने तंबू गाढ़ लिए थे। जिसके बाद पैंगोंग झील के पास कई दिनों से दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, मगर नतीजे के नाम पर वही ढाक के तीन पात। ऐसे में अगर ये विवाद जल्द नहीं सुलझाया गया तो चीन फिर से कोई चाल चलेगा और अपना कब्ज़ा जमाने की कोशिश करेगा।