National Science Day 2025 : आज पूरे देश में नेशनल साइंस डे (National Science Day) मनाया जा रहा है। इस साल का विषय ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व के लिए भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’ है। आज के दिन को डॉ. सीवी रमन का साइंस के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए याद किया जाता है।
डॉ. सीवी रमन का योगदान
डॉ. सीवी रमन (C. V. Raman) ने एक छोटे से गांव से नोबेल पुरस्कार और भारत रत्न तक को सफर तय किया। उनका यह सफर काफी प्रेरणादायक है। रमन ने भारत को साइंस एंड टेक्नोलॉजी में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। रमन ने प्रकाश के फैलाव से लेकर एक्स-रे और समुद्र के रंगों तक को दुनिया के लिए संभव किया। सरकार हर साल 28 फरवरी को उनके वैज्ञानिक कार्यों की याद में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाती है।
क्यों मनाते हैं नेशनल साइंस डे
डॉ. सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर को हुआ था। चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को ‘रमन प्रभाव’ की खोज की घोषणा की थी। उनको इसके लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार (Nobel Award) मिला था। इसके बाद साल 1986 में, नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) ने केंद्र सरकार से 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे के रूप में मनाने का अनुरोध किया। पहली बार 28 फरवरी 1987 को नेशनल साइंस डे मनाया गया।
क्या है ‘रमन इफेक्ट’ ?
इस साल सरकार विज्ञान भवन, नई दिल्ली के प्लेनरी हॉल में इस दिन को मनाएगी। इसका उद्देश्य लोगों के बीच विज्ञान के महत्व को समझाना है। जानकारी के मुताबिक, एक बार डॉ. रमन जब लंदन से भारत आ रहे थे। तब समुद्र के जल को नीला देखकर उन्हें जिज्ञासा हुई कि यह पानी नीला ही क्यों है? अपने इस सवाल का जवाब जानने के लिए उन्होंने भारत आकर रिसर्च की। काफी रिसर्च के बाद उन्होंने पारदर्शी पदार्थ से गुजरने पर प्रकाश की किरणों में आने वाले बदलाव के बारे में पता लगा। उनकी इस महत्वपूर्ण खोज को रमन प्रभाव यानी रमन इफेक्ट (Raman Effect) के नाम से जाना जाता है।