Maharashtra Political Crisis : 33 दिनों तक चला सियासी नाटक, जानिए कब क्या हुआ
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के साथ ही महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासत के नाटक (Maharashtra Political Crisis) का भी पटाक्षेप हो गया। करीब एक महीने से महाराष्ट्र में राजनीति का जो खेल हो रहा था उसने बड़े दिग्गजों के सिर को भी चकरा दिया था।
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पहले अजित पवार (Ajit Pawar) और फिर बाद में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने इस्तीफ़ा दे दिया और महाराष्ट्र में कांग्रेस(Congress), शिवसेना (Shivsena) और एनसीपी (NCP) गठबंधन के सरकार बनने का रास्ता साफ़ हो गया।
- 33 दिन तक चला महाराष्ट्र का सियासी नाटक
- चार पार्टियों के बीच चला शह और मात का खेल
- पॉलिटिक्स के ड्रामे में फैमिली ड्रामे का एंगल
- इस राजनीति को समझने में दिग्गजों के सिर चकराए
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम फडणवीस ने दिया इस्तीफा
- डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी दिया इस्तीफा
- 24 अक्टूबर को आया था विधानसभा चुनाव का नतीजा
- 1 नवंबर को शिवसेना ने अपने दम पर सरकार बनाने का दावा किया
- 9 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म
- 12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू
- 25 नवंबर को शरद पवार ने दिखाई ताकत
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे 24 अक्तूबर को आए थे, उसके बाद से लेकर 26 नंवबर यानि 33 दिन तक महाराष्ट्र में जिस तरह का सियासी ड्रामा चला, वह सिर्फ आम आदमी ही नहीं बल्कि मीडिया और दिग्गज राजनेताओं की समझ से भी परे रहा। चुनाव नतीजों से लेकर 4 दिन के लिए दूसरी बार सीएम बने फडणवीस के इस्तीफे तक पूरे सियासी घटनाक्रम ने जमकर सुर्खियां बटोरी।
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा (Assembly of Maharashtra) का चुनाव परिणाम घोषित हुआ, जिसमें भाजपा ने 105 सीटें जीती और उसके साथी शिवसेना को 56 सीटें मिली। भाजपा-शिवसेना गठबंधन (BJP-Shivsena Alliance) के पास बहुमत था। एनसीपी को को 54 और उसके सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिली।
नतीजे के अगले दिन शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूला यानी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की बात सामने लाई। शिवसेना ने कहा कि इसी शर्त के तहत उसका चुनाव से पूर्व बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ था, लेकिन बीजेपी ने कहा कि शिवसेना से ऐसा कोई कोई समझौता नहीं हुआ।
27 अक्टूबर को फडणवीस ने कहा कि पांच साल बीजेपी का ही सीएम होगा। दोनों के विवाद के बीच 28 अक्टूबर को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता दिवाकर राउत (Diwakar Raut) ने अलग-अलग मुलाकात की। 29 अक्टूबर को बीजेपी ने शिवसेना को नया ऑफर दिया। इसके तहत सीएम (Chief Minister) बीजेपी का और डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister) शिवसेना का होना था, लेकिन शिवसेना अड़ी रही और ऑफर ठुकरा दिया।
Maharashtra Political Crisis : 1 नवंबर को शिवसेना अपने दम पर सरकार बनाने का दावा किया
1 नवंबर को शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि अगर पार्टी चाहे तो वो अपने दम पर महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है। 2 नवंबर को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और शरद पवार (Sharad Pawar) के बीच फोन पर बातचीत हुई। उद्धव-पवार की बातचीत के बाद 3 नवंबर को शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया कि उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है, जो 175 तक भी पहुंच सकता है।
4 नवंबर को शरद पवार ने कहा कि बीजेपी-शिवेसना के पास बहुमत है वो सरकार बनाएं। हमारे पास विपक्ष में बैठने का जनादेश है। 5 नवंबर को राज्य में जगह-जगह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर पोस्टर लगाए गए, लेकिन 6 नवंबर को पवार ने फिर कहा हम विपक्ष की भूमिका अदा करेंगे। 8 नवंबर को सीएम फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया।
Maharashtra Political Crisis : 9 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म
9 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो गया। राज्यपाल कोश्यारी ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया। भाजपा को 48 घंटे का समय मिला। 10 नवंबर को भाजपा ने सरकार बनाने से किया मना किया तो शिवसेना को न्योता दिया गया। 11 नवंबर को एनसीपी से समर्थन के संकेत पर शिवसेना एनडीए अलग हो गई।
मोदी कैबिनेट में एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी शिवसेना सरकार बनाने में असमर्थ रही। राज्यपाल से उसने और समय मांगा, लेकिन राज्यपाल ने मांग नहीं मानी। इसके बाद राज्यपाल ने रात को आठ बजे एनसीपी को सरकार बनाने के लिए बुलाया
Maharashtra Political Crisis : 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लागू
एनसीपी को दावा साबित करने के लिए 12 नवंबर रात 8.30 बजे तक का समय मिला था, लेकिन राज्यपाल ने छह घंटे पहले ही राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में सरकार बनती नहीं दिख रही है।
शिवसेना , एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया। बीजेपी ने राज्यपाल के फैसले का बचाव किया और कहा जिसके पास नंबर है वो कभी भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान शिवसेना , एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं को बीच बैठकों का दौर चला।
दिल्ली में सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच मुलाकात हुई। इसी बीच संसद में पीएम मोदी ने एनसीपी की तारीफ की और शरद पवार किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी से भी मिले, जिससे अटकलें भी शुरू हो गईं। इधर दिल्ली और मुंबई में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की कई बैठकों के बाद 22 नवंबर को तीनों दल में सहमति बनी और तय हुआ कि 23 नवंबर को तीनो दल साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार बनाने का ऐलान करेंगे।
23 नवंबर को फडणवीस ने ली शपथ
23 नवंबर को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस करते, इसके पहले 22 नवंबर की रात से 23 नवंबर की सुबह तक महाराष्ट्र के सियासत की पूरी बाजी पलट गई। 23 नवंबर की सुबह जब लोगों ने आंखे खोली तो पता चला कि महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हट चुका है और देवेंद्र फडणवीस राज्य के नए सीएम और अजित पवार नए डिप्टी सीएम बन चुके हैं।
दोनों को सुबह 8 बजे ही राजभवन में शपथ दिला दी गई। NCP विधायक दल के नेता अजित पवार का समर्थन पत्र पाकर बीजेपी ने बहुमत का दावा किया। उधर शाम होते-होते तीनों दल सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और राज्यपाल के फैसले के साथ नई सरकार के गठन को भी चुनौती दी।
25 नवंबर को शरद पवार ने दिखाई ताकत
24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले की सुनवाई शुरू की। तीन दलों के वकीलों ने तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की, जिसका बीजेपी और सरकार ने विरोध किया। कोर्ट ने अगले दिन के लिए सुनवाई टाल दी। 25 नवंबर को दोनों तरफ से फिर दलीलें दी गईं। सरकार गठन से जुड़े दस्तावेज भी पेश किये गए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 26 नवंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।
इस बीच 25 नवंबर को शरद पवार ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने अजित पवार को छोड़कर बाकी सभी एनसीपी विधायकों को अपने साथ खड़ा कर लिया। 25 नवंबर की शाम ही मुंबई के हयात होटल में तीनों दलों के सभी 162 विधायक एक साथ जुटे और बीजेपी को किसी कीमत पर समर्थन नहीं देने की शपथ ली।
26 नवंबर को महाराष्ट्र पर आया सुप्रीम फैसला
26 नवंबर की सुबह जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस चेहरे खिल गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फडणवीस सरकार को 27 नवंबर को फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा गया। प्रोटेम स्पीकर को फ्लोर टेस्ट करना था। सुप्रीम फैसले के बाद बाजी एकदम पलट गई। डिप्टी सीएम अजित पवार और सीएम फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया और शिवसेना , एनसीपी और कांग्रेस ने गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी।