रश्मि सिंह|Govardhan Puja 2023: हर साल दिवाली के अगले दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हुआ। 12 नवंबर दिवाली के अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक अमावस्या रहेगी। अगले दिन भी उदय तिथि अमावसया होने से गोर्वधन पूजा नहीं होगी। इस कारण दिवाली के बाद होने वाला अन्नकूट भी एक दिन बाद यानी 14 नवंबर को मनाएंगे।
श्रीकृष्ण ने तोड़ा था इंद्र का घमंड
शास्त्रों में, वेदों में इस दिन बलि की पूजा, गोवर्धन पूजा, गौ-पूजा, अन्नकूट होता है तो इस दिन वरूण, इन्द्र, अग्निदेव आदि देवताओं की पूजा का विधान है। एक बार देवराज इंद्र ने कुपित होकर सात दिन की वर्षा की अखंड झड़ी लगा दी लेकिन श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रज को बचा लिया थथा इंद्र को लज्जित होने के पश्चात उनसे क्षमायाचना करनी पड़ी।
गोवर्धन पूजा महत्व
गोवर्धव पूजा प्रकृति के पूजन का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्ण ने सदियों पहले ही समझा दिया था कि इंसान तभी सुखी रह सकता है जब वह प्रकृति को प्रसन्न रखें। प्रकृति को ही परमात्मा मानें और परमात्मा के रुप में ही प्रकृति की पूजा करें हर हाल में प्रकृति की रक्षा करें।
इस बार गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 6 बजकर 35 मिनट से सुबग 8 बजे तक रहेगा। साथ ही इस दिन शोभन योग, पराक्रम योग, वाशी और सुनफा योग भी है। यह पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फलदायी है। इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन भगवान को 56 भोग लगाने की परंपरा भी है।
ऐसे करें पूजा
- लक्ष्मी का एक रूप अन्नपूर्णा का है।जिस घर में मां अन्नपूर्णा स्थिर रुप से विराजमान होगी, वहां सदैव स्थाई रुप से सुख-समृद्धि एवं शातिं का वास होगा। इसलिए इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सर्वप्रथम अपने घर में झाडू लगाएं वह भी घर के अन्दर से लेकर बाहर की ओर जिससे घर के सभी दरिद्रता व अशुभता बाहर निकल जाए।
- झाडू निकल जाने के पश्चात घर के बाहर से आपको थाली बजाते-बजाते घर में प्रवेश करना है। कुछ इस तरह भाव करें जिस तरह मां लक्ष्मी आपके घर पधार रही है।
- फिर स्नानादि से निवृत होकर गोबर या मिट्टी लेकर घर के मुख्य द्वार के चौखट पिर छोटा पर्वत और पाल बनाकर उन्हें गोवर्धन स्वरुप मानकर उनकी पूजा-अर्चना करें। फिर केसर-कुंकुम का तिलक करें अक्षत चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाए व नैवेद्द स्वरुप कोई भी प्रसाद भोग लगाएं।
- फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें की हमारे घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास बना रहे व उनकी कृपा दृष्टि और आशीर्वाद हमेशा स्थापित रहे।