Navratri 2021: मां दुर्गा की अराधना का पर्व नवरात्र इस बार 8 दिन का ही है। शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि 11 अक्टूबर सोमवार के दिन कात्यायनी माता की आराधना की जाएगी। मान्यता है कि कात्यायनी देवी की पूजा करने पर मां भक्तों को सुख शांति और शक्ति प्रदान करती हैं।
Navratri 2021: देवी कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्ययनी की चार भुजाएं हैं, एक हाथ में माता के खड्ग है तो दूसरे में कमल पुष्प। अन्य दो हाथों से माता वर मुद्रा और अभय मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। माता का यह स्वरूप अत्यंत दयालु और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला है।
कात्यायनी माता की कथा
शास्त्रों के अनुसार, महर्षि कात्यायनी ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने उन्हें उनकी पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। देवी दुर्गा का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में ही हुआ। मां का पालन पोषण ऋषि कात्यायन ने ही किया। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण देवी को कात्यायनी नाम से जाना गया। उस समय त्रिदेवों के तेज से देवी दुर्गा की उत्पत्ति हुई। कुछ समय बाद जब महिषासुर राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया, तब मां कात्यायनी ने ही उसका वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।
पूजा विधि और सामग्री
मां कात्यायनी की पूजा में गंगाजल, कलावा, नारियल, कलश, चावल, रोली, चुन्नी, अगरबत्ती, शहद, धूप, दीप और घी का प्रयोग करना चाहिए। माता की पूजा करने के बाद ध्यान पूर्वक पद्मासन में बैठकर देवी के मंत्र का उच्चारण करें। षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी के पूजन में शहद का खास महत्व बताया गया है। कहा जाता है मां को शहर बेहद प्रिय है। इसलिए मां के भोग के लिए शहद का उपयोग जरूर करना चाहिए।
मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, कात्यायनी देवी के पूजन के समय पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा के दौरान भी मां को पीले फूल अर्पित करने चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह योग बनते हैं। साथ ही प्रेम संबंधी बूाधाएं भी दूर होती हैं।
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