Navratri Day 7: नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। यह मां दुर्गा का रौद्ध रूप भी है जिसका वर्ण काला है इसलिए इन्हें मां काली या कालिका के नाम से भी जाना जाता है। माता का यह रूप अत्यंत भयंकर है, परंतु भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी है। माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से व्यक्ति का सभी प्रकार का भय खत्म होता है। नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि के सातवें दिन माता कालिका की पूजा की जाती है।
शुभ मुहूर्त
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 20 अक्टूबर की रात 11 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और समापन 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 53 मिनट पर होग। इस दिन त्रिपुष्कर योग रात 7 बजकर 54 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। जिस मुहूर्त में मां कालरात्रि की उपासना की जा सकती है
मां कालरात्रि पूजा विधि
नवरात्र की सप्तमी तिथि की पूजा नवरात्र अन्य दिनों की तरह ही कर सकते हैं लेकिन मां काली की उपासना करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि का माना गया है। ऐसे में सर्वप्रथम पूजा स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां कालरात्रि की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजा के दौरान मां कालिका को रातरानी के फूल चढ़ाएं। भोग के रूप में गुड़ अर्पित करें। इसके बाद कपूर या दीपक से माता की आरती उतारें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का लाल चंदन की माला से जाप करें।
मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। तंत्र-मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं। वहीं मां काली की आराधना करने से व्यक्ति भयमुक्त हो जाता है। साथ ही यह भी माना गया है कि मां काली अपने भक्तों की अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं।
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
मां कालरात्रि की पूजा के दिन लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में आ रहे कष्टों से भी मुक्ति मिलती है-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।