Supreme Court On Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने आज कोटा के अंदर कोटा को मजूरी दे दी है। ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जस्टिस वाली बेंच ने लिया है। इसमें पिछड़े वर्ग के लोगों को अलग से कोटा प्रदान किया जाएगा।
Supreme Court On Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरूवार, 1 अगस्त को बड़ा ही महत्वपूर्ण फैसला लिया है। आरक्षण पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी है। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि ‘नुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण, अनुसूचित जाति श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों के लिए अलग से कोटा दिया जाएगा’। पीठ ने आगे कहा कि ‘राज्य सरकार पिछड़े लोगों में से भी जो अधिक जरुरतमंद उन्हें फायदा देने के लिए अलग से सब कैटेगरी बना सकती है।
100 फीसद आरक्षण को नहीं मिली मंजूरी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये साफ़ किया है कि ‘सब कैटेगरी की अनुमति देते समय राज्य सरकार किसी भी उप-श्रेणी के लिए 100 फीसद आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकती है। इसके अलावा राज्य सरकार को उप-वर्गीकरण को उचित ठहराना होगा। फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 6 राय हैं, जो इस कोटा के अंदर कोटा देने वाले फैसले का समर्थन करती हैं। एक जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस फैसले पर असहमति जताई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘हममें से अधिकांश ने ईवी चिन्नैया के फैसले को खारिज कर दिया है, हम मानते हैं कि सब कैटेगरी की जरुरत है। इसे हम स्वीकार करते हैं। सीजेआई ने कहा कि ‘सबसे निचले स्तर पर भी लोगों का संघर्ष खत्म नहीं होता है। सीजेआई ने कहा कि चिन्नैया के 2004 के फैसले को खारिज किया जाता है’।
2004 के फैसले को किया खारिज
बता दें कि साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को सब कैटेगरी में बांटना का अधिकार नहीं है। वहीं साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने पाया कि ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश के फैसले पर एक बार फिर से विकार किया जाना चाहिए। तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कोटा के अंदर कोटा को मंजूरी दे दी है’।