Supreme Court On Rohingya Muslims: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 8 मई को दिल्ली से रोहिंग्या मुसलमानों के संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “भारत में रहने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों का है। अदालत ने भी स्पष्ट किया कि गैर-भारतीयों के साथ विदेशी अधिनियम जैसा व्यवहार किया जाएगा, भले ही उन्हें शरणार्थी का दर्जा मिला हो। दिल्ली के रोहिंग्या मुसलमानों के संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया।”
इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से भारत में रहने का अधिकार देने की अपील करते हुए कहा कि “म्यांमार में हो रहे कथित नरसंहार के कारण रोहिंग्या समुदाय भारत में शरणार्थी हैं।”
कौन है रोहिंग्या मुस्लिम?
इतिहासकारों के अनुसार, रोहिंग्या 12वीं सदी से रहते आ रहे मुस्लिम है। रोहिंग्या मुस्लिम, म्यांमार के रखाइन राज्य में रहने वाला एक राज्यविहीन जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है, जो बांग्लादेश की सीमा के पास रहते हैं और अपने पहचान के लिए रोहिंग्या नाम का इस्तेमाल करते है।
“सिर्फ भारतीयों का भारत “
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने साफ तौर पर कहा कि “भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिकों को ही देश में रहने का अधिकार है। इतना ही नहीं इन्होंने ये भी कहा कि, विदेशी नागरिकों के मामलों में विदेशी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।” अदालत ने याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अधिवक्ता कनु अग्रवाल के साथ पीठ को बताया कि “सुप्रीम कोर्ट ने पहले असम और जम्मू-कश्मीर से रोहिंग्या मुसलमानों के निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जब केंद्र ने भारत में उनकी उपस्थिति पर सुरक्षा चिंता व्यक्त की थी। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों को उजागर किया था।”
कौन है रोहिंग्या मुस्लिम?
इतिहासकारों के अनुसार, रोहिंग्या 12वीं सदी से रहते आ रहे मुस्लिम है। रोहिंग्या मुस्लिम, म्यांमार के रखाइन राज्य में रहने वाला एक राज्यविहीन जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है, जो बांग्लादेश की सीमा के पास रहते हैं और अपने पहचान के लिए रोहिंग्या नाम का इस्तेमाल करते है।