मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना
नई दिल्ली – इन दिनों कोरोना वायरस के कारण लोग अपने- अपने घरों में बंद हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस की अभी तक दवाई नहीं बनी जिससे वायरस का इलाज किया जा सके। यहीं कारण है कि दुनियाभर में इस वायरस के कारण लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। बता दे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 20 लाख की संख्या को पार कर चुका है। जिस बीच सरकारों द्वारा यही राय दी जा रही है कि सभी लोग एक-दूसरे से दूरी बना के रखे और बार बार हाथ धोते रहें।
दुनियाभर के डाक्टर इस महामारी से रोज लड़ रहे हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं। वहीं इस बीच गुजरात के सूरत शहर में अब्दुल भी एक नेक काम में सालों से लगा है। हाल ही में गुजरात के सूरत में कोरोना वायरस से लगभग 4 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनका अंतिम संस्कार अब्दुल मालाबरी ने ही किया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल ने कहा, “मैं तीस सालों से लावारिस या छोड़ दिए गए शवों का अंतिम संस्कार कर रहा हूं… सड़कों पर रह रहे लोग, भिखारी, या फिर आत्महत्या करने वाले लोग, जिन्हें अंतिम विदाई देने वाला कोई नहीं होत…” अब्दुल मालाबरी हर मजहब के लोगों और कोरोना संक्रमण से मर रहे लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। संक्रमण के डर की वजह से परिजन लाशों के पास तक नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब्दुल मालाबरी लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।