नई दिल्ली: Political: बिहार राजनीति के चेहरे चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच पार्टी और चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहा विवाद अब थमता नजर आ रहा है। लोजपा का नाम और निशान जब्त करने के बाद चुनाव आयोग ने चिराग पासवान और पशुपति पारस को अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिये हैं। इसी के साथ दोनों की पार्टी के नाम भी अलग अलग हो गए।
चुनाव आयोग ने नये नामों पर अनुमति दे दी है। चिराग पासवान की पार्टी अपने नए सिंबल हेलिकॉप्टर के साथ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से जानी जाएगी। वहीं, पशुपति पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) होगा। चुनाव आयोग ने उनको सिलाई मशीन का चुनाव चिह्न निर्वाचन आयोग ने दिया है। यानि अब चाचा सिलाई मशीन चलाएंगे और भतीजे चिराग हेलिकॉप्टर उड़ाएंगे। पुराने सिंबल ‘बंगले’ को चुनाव आयोग ने ध्वस्त कर दिया। जिसके बाद ये लड़ाई यहीं खत्म होती दिख रही है।
Political: चुनाव आयोग ने चाचा-भतीजे को जारी किए लेटर
इस संबध में चुनाव आयोग ने चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस को अलग अलग लेटर जारी किया। इसके साथ ही दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई अब खत्म होती दिख रही है। हालांकि, चिराग पासवान की पार्टी के नाम में रामविलास जुड़ गया है, जिसको वे चुनावी मैदान मे भुनाकर पिता की विरासत के आधार पर वोट मांग सकते हैं।
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Political: रामविलास पासवान के निधन के बाद विवाद
दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही चाचा पशुपति और भतीजे चिराग के बीच विवाद सामने आने लगे। इसका खामियाजा पूरी लोजपा को भुगतना पड़ा। लोजपा ने एनडीए से अलग होकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा और नजीता ये रहा कि पार्टी एक सीट पर सिमट कर रह गई। इसके बाद पार्टी में मतभेद और गहरे होते चले गए। चाचा भतीजे के बीच हितों के टकराव खुलकर सामने आने लगे। पारस गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया था। तब से ही दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। यह लड़ाई चुनाव आयोग तक भी पहुंची थी, जिसने अब यह फैसला दिया है।