सोमवार को मायावती की चेतावनी के बाद मंगलवार को ही मध्य प्रदेश सरकार एक्शन में आ गयी और राज्य सरकार के गृहमंत्री ने घोषणा कर दी कि राज्य के अंदर सभी राजनीतिक द्वेष से दर्ज किये गये केसों को तुरंत वापस लेंगे । दरअसल बीएसपी मुखिया मायावती ने बीते सोमवार को मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकारों से दलितों के सारे मुकदमों को वापस लेने की चेतावनी दी थी।
आपको बता दे कि 2018 के अप्रैल में दलित आंदोलन के दौरान पूरे देश में हिंसा भड़की थी इसी हिंसा में मध्यप्रदेश और राजस्थान में काफी ज्यादा केस दर्ज किये गये थे।
इसके बाद 11 दिसंबर को आये विधानसभा चुनाव के परिणाम से राज्य में किसी को भी बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस मध्यप्रदेश में 230 में से 114 तो वहीं राजस्थान में 200 में से 99 सीटें ही हासिल कर सकी । दोनो राज्यों मे त्रिशंकु की स्थिति में बीएसपी का समर्थन ही सर्वेसर्वा है।
किंगमेकर की भूमिका में बीएसपी की नाराजगी कांग्रेस के लिए मंहगी पड़ सकती है। और इस स्थिति में कांग्रेस कोई चूक नहीं करना चाहती । और एक दिन बाद कमलनाथ सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया इसी की बानगी है ।
अभी सरकार नई है महौल नया है, इसीलिए हम बात इस स्थिति की नहीं कर रहे क्योंकि किसी भी निर्णय का विरोध जनता कुछ दिन परखने के बाद ही करती है। पर आगे देखना होगा जिस दलित आंदोलन की आंच राजस्थान मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा महसूस की गयी उसी मध्यप्रदेश और राजस्थान में जब सवर्ण और दलित हित टकरायेंगे तो बीएसपी के समर्थन से चल रही सरकार क्या करेगी और उस स्थिति में सरकार के पास कितने विकल्प होंगे ?