Haryana Election 2019 : राजनीति की राह नारी शक्ति के लिए आसान नहीं
नई दिल्ली : बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नारी शक्ति, महिला सशक्तिकरण जैसे तमाम नारे भारतीय राजनीति में आए दिन इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन जब राजनीति में जब महिलाओं के भागीदारी की बात आती है तो ये नारे महज जुमले की तरह साउन्ड करते हैं। यूं तो देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए, आजादी पुरूषों और महिलाओं को बराबर मिली, लेकिन फिर देश की आधी आबाधी को आज भी हर क्षेत्र में कड़ी अग्निपरीक्षा देकर खुद को साबित करना पड़ता है। फिलहाल हरियाणा विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां पूरे देश में फैली है। ऐसे मे यहां की विधानसभा में महिलाओं की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं। नारी शक्ति के तमाम वादे, महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के दावे के बावजूद हरियाणा में गिनी-चुनी महिलाएं ही ऐसी है जो राजनीति की रेस में आगे बढ़ पाई है।
महिला सशक्तिकरण के दावे हरियाणा में फेल ?
हरियाणा जैसे रूढ़ीवादी क्षेत्र में महिलाओं का घर की दहलीज लांघकर सियायत के सफर पर चलना चुनौतियों से कम नहीं था। हालांकि राजनीतिक दलों की ओर से महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की वकालत तो की जाती है, लेकिन हकीकत की जमीं पर राजनीति में पितृसत्ता आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। हरियाणा विधानसभा में महिलाओं को तरजीह देना तो दूर, अहम बात ये है कि यहां महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित ही नहीं रखी गई है। और जो 17 सीटें आरक्षित है वो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए है।
हरियाणा की राजनीति में महिलाओं की राह आसान नहीं
हरियाणा एक ऐसा प्रदेश जहां की बेटियां विदेशी सरजमीं पर जाकर देश का नाम रौशन किया है, उसी प्रदेश में महिलाओं की राजनीति की राह आसान नहीं। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि हरियाणा गठन के बाद सिर्फ दो बार ही महिला विधायकों की संख्या का आंकड़ा दहाई पार कर पा सका। साल 2005 के चुनाव में 11 और 2014 के चुनाव में 13 महिला विधायक विधानसभा पहुंच पाईं। नहीं तो हर बार कभी 5 तो कभी 7 महिलाएं ही विधानसभा की कुर्सी पर काबिज़ हो सकीं। साल 2005 में ऐसा पहली बार जब हरियाणा विस में महिलाओं के आंकड़ा दहाई में पहुंचा।
साल 1966 में हरियाणा गठन के बाद 1967 में हुए चुनाव में 4 महिलाएं विधायक चुनी गईं। 1968 के चुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 7 हो गया। साल 1972 और 1977 के चुनावों में यह आंकड़ा फिर से चार सीटों पर सिमट गया।
साल महिला विधायक
- 1967 04
- 1968 07
- 1972 04
- 1977 04
- 1982 07
- 1987 05
- 1991 06
- 1996 04
- 2000 04
- 2005 11
- 2009 09
- 2014 13
इन आंकड़ों से साफ है कि हर क्षेत्र में मुकाम हासिल करने वाली नारी राजनीति के संघर्ष में जूझ रही है। खासकर हरियाणा विधानसभा में महिलाओं की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 90 सीटों पर उतरे 1138 प्रत्याशियों में से महिला प्रत्याशिओं की संख्या सिर्फ 104 है। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल हरियाणा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या में इजाफा होगा, लेकिन कहीं ना कहीं ये आंकड़ें साबित करते हैं कि हर क्षेत्र में खुद को साबित करने वाली महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में अभी और संघर्ष करना बाकी है। लेकिन कहना ये भी गलत नहीं होगा कि संघर्ष की राह चाहे जितना कठिन हो, लेकिन इस अग्निपथ पर चलकर ही आधी आबादी को विजय हासिल करनी होगी।