नई दिल्ली: Afghanistan News: अमेरिकी सेना वापस जाने के बाद और अफ़ग़ान सेना के बिना लड़े हथियार डालने के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत शुरू हो गयी है भले ही तालिबान ने सत्ता हासिल करने से पहले शांतिपूर्ण तरीके से शासन करने की बात कही हो लेकिन तालिबान एक आतंकी संगठन है जिसपर भरोसा करना बेहद ही मुश्किल है। अफ़ग़ानिस्तान जमीं से तालिबान की बढ़ती क्रूरता की तस्वीरें लोगों को और भी ज्यादा डरा रही है। वहीं तालिबान के कब्ज़े के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे जिसके बाद उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह डटकर तालिबानियों का सामना कर रहे है और तालिबानियों के खिलाफ जंग लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
Talibs aren't allowing food & fuel to get into Andarab valley. The humanitarian situation is dire. Thousands of women & children have fled to mountains. Since the last two days Talibs abduct children & elderly and use them as shields to move around or do house search.
— Amrullah Saleh (@AmrullahSaleh2) August 23, 2021
मैं अफगानिस्तान का मालिक हूं: अमरुल्ला सालेह
बता दें, अमरुल्ला सालेह ने ट्वीट कर तालिबानियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि “तालिबान मानवता को शर्मसार कर रहा है वो अंदराब घाटी में खाना तक नहीं जाने दे रहा है।” उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि ‘मेरे दिल में वह अमिट लाल रंग अफगानिस्तान है। केवल भगवान ही एक दिन मेरी आत्मा को यहां से निकाल देंगे। फिर भी मेरे अवशेष इस मिट्टी में रहेंगे। मैं अफगानिस्तान का मालिक हूं और ये मेरा मालिक है। हम एक हैं। यह मुझसे हर दिन बात करता है।’
That indelible color red in my heart is Afghanistan. Only God will one day evacuate my soul from here but still my remains will reunite with the soil. I own Afghanistan & it owns me. We are one. It speaks to me every day. https://t.co/qYYPYtXO2q
— Amrullah Saleh (@AmrullahSaleh2) August 23, 2021
कुछ इलाकों से बच कर रहना चाहिए : अमरुल्ला सालेह
दरअसल, तालिबान अभी तक अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर कब्जा नहीं कर सका है। इसी जगह से अफगानिस्तान के ‘कार्यवाहक’ राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंकने के लिए अहमद मसूद के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अमरुल्ला अपने मुल्क में फिर से शांति और अमन कहते है।अंदराब घाटी की याद दिलाते हुए उन्होंने तलिबानों को चेतवानी दी कि उन्हें कुछ इलाकों से बच कर रहना चाहिए।
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तालिबान के नियंत्रण में नहीं है – पंजशीर
तलिबानों ने अपने समूह में पुरुषों को शामिल करने के लिए कई बच्चों और महिलाओं का अपहरण कर लिया था, ताकि उन्हें मजबूर किया जा सके। इसके बाद तालिबानों ने मसूद के नेतृत्व वाले समूह को आत्मसमर्पण के लिए चार घंटे का अल्टीमेटम दिया और पंजशीर प्रांत देने को कहा। ये अफगानिस्तान का अंतिम प्रांत है, जो तालिबान के नियंत्रण में नहीं है। ‘पंजशीर के शेर’ अहमद शाह मसूद के 32 वर्षीय बेटे तालिबान विरोधी ताकतों का नेतृत्व कर रहे हैं। जिन्होंने साल 1979 में सोवियत कब्जे का सफलतापूर्वक विरोध किया था।