जनतंत्र डेस्क, उड़ीसा: विश्वभर में प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन 1 जुलाई से किया जा रहा है। हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस रथ में शामिल होने के लिए लोग देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं। जगन्नाथ पुरी मंदिर भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जगन्नाथ का अर्थ होता है जगत के नाथ। भारत में जगन्नाथ रथ यात्रा को त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
दुनिया की सबसे बड़ी रथयात्रा
इस यात्रा की शुरुआत उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से प्रारंभ होती है। माना जाता है कि आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया के दिन भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र एवं उनकी बहन सुभद्रा राजसी पोशाक में अपनी मौसी के घर के लिए प्रस्थान करते हैं। इस रथयात्रा को दुनिया की सबसे बड़ी रथयात्रा मानी जाती है। इस महोत्सव को देखने के लिए दुनिया भर के श्रद्धालु उड़ीसा आते हैं। परंपरा के अनुसार यात्रा में तीन दिव्य रथों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे आगे बलभद्र जी का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथ का रथ होता है। इस वर्ष जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत 1 जुलाई 2022 से होगी और विभिन्न चरणों में होते हुए 12 जुलाई को पूरी होगी।
क्यों मनाई जाती है जगन्नाथ रथयात्रा?
नारद पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन ने नगर देखने की इच्छा प्रकट की थी। तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र ने बहन सुभद्रा को रथ पर बिठाकर नगर भ्रमण कराने के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी ले गये, जहां वे 7 दिनों तक रहें। कहते हैं कि इसके बाद से ही रथयात्रा का चलन शुरु हुआ, जो आज भी जारी है।
जगन्नाथ रथ यात्रा महत्वपूर्ण अनुष्ठान
इस रथयात्रा कार्यक्रम की तैयारियां अक्षय तृतीया (3 मई 2022) से शुरु हो चुकी है। इसके बाद भगवान को 15 दिनों के लिए सर्दी-जुकाम एवं बुखार से पीड़ित बताया जाता है। उन्हें औषधि पिलाई जाती है। इस दरम्यान भगवान जगन्नाथ को चारपाई पर आराम करते हैं। इस 15 दिनों के अस्वस्थ काल में श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है। 15 दिनों के बाद जब वे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं तो श्रद्धालुओं को जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस दिन को नेत्र उत्सव के नाम से जाना जाता है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में विशेष तथ्य:
- पुराणों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ श्रीहरि भगवान विष्णु के मुख्य अवतारों में से एक हैं। जगन्नाथ के रथ का निर्माण अक्षय तृतीया से शुरू होता है।
- वसंत पंचमी से लकड़ी के संग्रह का काम शुरू हो जाता है।
- भगवान के लिए ये रथ श्रीमंदिर के बढ़ई द्वारा बनाए गए हैं।
- यह यात्रा एक पर्व के रूप में हर साल मनाई जाती है, इसलिए जगन्नाथ यात्रा को, यात्रा के रूप में मनाया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का शेड्यूल
1. 01 जुलाई, शुक्रवार, 2022, गुंडिचा यात्रा (रथयात्रा प्रारंभ) मौसी के घर मिलने जाने की योजना होती है।
2. 05 जुलाई, मंगलवार, 2022, हेरा पंचमीः (रथयात्रा के पहले दिन से पांचवें दिन तक गुंडिचा मंदिर में भगवान वास करते हैं।)
3. 08 जुलाई, शुक्रवार, 2022, संध्या दर्शनः (मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने 10 वर्षों तक श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है।)
4. 09 जुलाई, शनिवार, 2022, बहुदा यात्राः (इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं बहन सुभद्रा की वापसी होती है, जिसे बहुदा यात्रा कहते हैं।)
5.10 जुलाई, रविवार, 2022 सुनाबेसा (जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान के शाही रूप की तैयारी की जाती है। सुनाबेसा वह रूप है, जिसे भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ धारण करते हैं।)
6.11 जुलाई, सोमवार, 2022, आधर पनाः (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन देवताओं के रथ पर एक विशेष पेय चढ़ाया जाता है। इस पेय को ही आधार पना कहते हैं। यह दूध, पनीर, चीनी एवं मेवों से बनाया जाता है।)
7.12 जुलाई, मंगलवार, 2022, नीलाद्री बीजे (पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा के सबसे दिलचस्प अनुष्ठानों में एक है नीलाद्री बीजे है।)