नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में उच्च न्यायालय द्वारा के चर्चित रोशनी एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए खारिज करने के बाद राज्य सरकार ने इसके तहत बांटी गई सारी जमीनों का दाखिल-खारिज यानी नामांतरण रद्द कर छह महीने में जमीनें वापस लेने का फैसला किया है। सरकार ने एक्ट के तहत की गई अब तक की सभी कार्रवाई को रद्द करने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही रोशनी एक्ट के तहत जमीनें लेने वाले प्रभावी लोगों समेत सभी लाभार्थियों के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया है। उप राज्यपाल की सहमति से कानून और संसदीय कार्य विभाग ने शनिवार को यह आदेश जारी किया।
राज्य सरकार ने सरकारी भूमि पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाई गई रोशनी योजना को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है। निरस्त की गई इस योजना के प्रावधानों के तहत की जाने वाली कोई भी कार्रवाई अब वैध नहीं होगी। राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता वाली राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया हैं। यह योजना वर्ष 2001 में बनाई थी। इसका मकसद कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ राज्य में अधर में लटके बिजली प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए धन जुटाना था। योजना अपने मकसद में नाकाम साबित हुई। योजना के तहत राज्य में लोगों के कब्जे वाली 20.55 लाख कनाल सरकारी भूमि के मालिकाना अधिकार दिए जाने थे। बाद में सिर्फ 15.88 प्रतिशत भूमि ही मालिकाना अधिकार देने के योग्य पाई गई व ऐसे में उम्मीद से काफी कम धन जुटा व योजना तय मकसद में नाकाम हो गई।
क्या है आदेश में
उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए यह जरूरी है कि आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। इसके तहत राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से रोशनी एक्ट के तहत समय-समय पर किए गए संशोधनों को रद्द करने का आदेश जारी होगा। सरकारी जमीन पर कब्जाधारकों से जमीन छुड़ाने की कार्ययोजना बनाने के साथ ही छह महीने के भीतर ऐसी सभी भूमि को वापस हासिल किया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि राजस्व विभाग साप्ताहिक आधार पर आदेश के तहत की गई कार्रवाई का ब्योरा सामान्य प्रशासन विभाग के साथ साझा करेगा।
साथ ही, प्रमुख सचिव राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्योरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर प्रदर्शित करेंगे। साथ ही जमीन पर अवैध कब्जाधारकों के नाम भी सार्वजनिक करेंगे। इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्योरा देना होगा। साथ ही यदि जमीन किसी के नाम हस्तांतरित की गई होगी तो उसका विवरण भी देने को कहा गया है।