राजस्थान: आजकल के समय में दिखावे के चक्कर में लोग किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। राज्य के गांव ढ़ाणी में खुशी के मौकों पर ऊंटों की बजाय हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है. दुल्हन को हेलीकॉप्टर में बैठाकर ससुराल लाया जा रहा है. यहां तक कि बच्चे भी अपने माता-पिता की रिटायरमेंट पर उन्हें हेलीकॉप्टर से ही घर ला रहे हैं. इस सीजन प्रदेश के कई जिलों में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई की गई है.
रेतीली मिट्टी से मशहूर राजस्थान, जहां के रेगिस्तानी जहाज यानि ऊंट को कौन नहीं जानता है. यहां के गांव ढ़ाणी में कई सालों से शादी में दूल्हे को रेगिस्तानी जहाज पर बैठाकर बारात निकाली जाती रही है. लेकिन अब ग्रामीण अंचल में भी खुशी के मौके पर उड़न खटोले यानि हेलीकॉप्टर को शामिल करने का क्रेज दिनों-दिन बढ़ता हीं जा रहा है.
हेलीकॉप्टर से विदाई का बड़ा क्रेज
अलवर जिले में भी एक गरीब परिवार की ओर से हेलीकॉप्टर से दुल्हन को ससुराल लाना चर्चा का विषय बना हुआ है. दूल्हे के माता-पिता ने अपने बेटे की खुशी के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग करवाई. वहीं दुल्हन के अलावा बारातियों को भी हेलीकॉप्टर से ले जाने का नया ट्रेंड इन दिनों सामने रहा है, जिसमें दूल्हे का परिवार हेलीकॉप्टर से जा रहा है.
क्या शहरों में है लैंडिंग स्पेस की कमी
शहरों के लोग शादियों में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के स्पेस के ना होने के चलते इसके इस्तेमाल से काफी बच रहे हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों में इसकी कोई समस्या नहीं है क्योंकि इसकी परमिशन से जुड़ी स्वीकृति के बाद ही बुकिंगकर्ता को प्राइवेट जगह पर हेलीपैड बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवा दी जाती है.
इस सीजन प्रदेश के कई जिलों में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई हुई. इतना ही नहीं कई शादियों में हेलीकॉप्टर उपलब्ध न होने की वजह से हेलीकॉप्टर की बजाय मजबूरन लग्जरी गाड़ियों में दुल्हन को घर तक लाया गया. इस बात से अंदाजा लगाना आसान है कि राजस्थान में हेलीकॉप्टर का कितना क्रेज बढ़ चुका है.
दुल्हन को ससुराल तक लाने के लिए दूल्हे ने हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी. इतना ही नहीं आगामी सीजन की भी एडवांस बुकिंग हो चुकी है. इन सभी में अधिकतर मिडिल क्लास परिवार की शादियां शामिल हैं.