Supreme Court On Buldozer Action : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2021 के बुलडोजर एक्शन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। कोर्ट ने इस मामले पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने प्रयागराज डेवलपमेंट ऑथोरिटी से सभी 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। ऑथोरिटी 6 सप्ताह के भीतर सभी लोगों को यह भुगतान करना पड़ेगा। कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने को अवैध करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया सख्त फैसला
इस मामले पर जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि “लोगों के लिए यह मुआवजा इसलिए जरूरी है, ताकि अब आगे भविष्य में सरकारे मकान गिराने से परहेज करें।” इसके साथ ही जजों ने हाल ही में सामने आए एक वीडियो का हवाला देते हुए कहा “कई अलग-अलग रूप में इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रहीं हैं।”
साल 2021 में की गई थी कार्रवाई
दरअसल रविवार, 7 मार्च 2021 को हुई कार्रवाई में कुल 5 मकान गिराए गए थे। इसमें वकील जुल्फिकार हैदर और प्रोफेसर अली अहमद के मकान भी शामिल थे। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि “इस जमीन पर ये मकान बने थे, वह लोग उसके लीज होल्डर थे। प्रशासन ने उस जगह को राजनेता और माफिया अतीक अहमद से जोड़ते हुए कार्रवाई की थी। इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। साल 1906 से जारी लीज 1996 में खत्म हो चुका था। याचिकाकर्ताओं ने लीज होल्ड को फ्री-होल्ड करने का आवेदन दिया था। उन आवेदनों को 2015 और 2019 में खारिज किया जा चुका है।
“इस तरह मकान गिराना अवैध” – SC
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि “जमीन को लेकर वह कोई बयान नहीं दे रहे हैं। याचिकाकर्ता उसके लिए अपीलीय प्राधिकरण के सामने अपनी बात रखें। यह आदेश सिर्फ इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि मकानों को गिराने का तरीका अवैध था।”















