यह Sehat Talk का एपिसोड सेहत और खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य पर केंद्रित एक बेहद उपयोगी और जागरूक करने वाली बातचीत है। शो की शुरुआत होस्ट ज्योति गोयल एक भावनात्मक सोच के साथ करती हैं, जिसमें वह बताती हैं कि जीवन में दो चीज़ें ऐसी हैं जिन्हें कोई नहीं छीन सकता—सेहत और ज्ञान। इसी विचार के साथ वह दर्शकों का स्वागत करती हैं और शो के उद्देश्य को स्पष्ट करती हैं कि यहां सेहत से जुड़े असली मुद्दों पर व्यावहारिक समाधान दिए जाएंगे, न कि इंटरनेट पर फैली अधूरी जानकारी।
इस एपिसोड की मुख्य अतिथि हैं डॉ. राखी अग्रवाल, जो एक अनुभवी गायनेकोलॉजिस्ट होने के साथ-साथ सोशल एक्टिविस्ट भी हैं। उन्हें गायनेकोलॉजी में 22 वर्षों का अनुभव है और उन्होंने छोटे शहर में अस्पताल खोलकर दूरदराज़ की महिलाओं तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का काम किया है। वे महिला कल्याण के लिए एक फाउंडेशन भी चलाती हैं।बातचीत का मुख्य विषय महिलाओं की प्रजनन सेहत और यूट्रस की देखभाल है। डॉ. राखी बताती हैं कि महिलाओं की स्वास्थ्य यात्रा 11–12 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होने से लेकर मेनोपॉज़ तक चलती है। यदि 16–18 साल तक पीरियड्स न हों, तो यह चिंता का विषय हो सकता है और डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। वहीं शुरुआती उम्र में पीरियड्स का अनियमित होना सामान्य हो सकता है।

रिप्रोडक्टिव एज में सबसे ज्यादा ज़रूरी है हाइजीन और हार्मोनल बैलेंस। डॉ. राखी बताती हैं कि गलत हाइजीन, जंक फूड, स्ट्रेस और सेडेंटरी लाइफस्टाइल की वजह से आजकल PCOD, PMS और एंडोमेट्रियोसिस जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसका सबसे बड़ा इलाज है—लाइफस्टाइल में बदलाव, नियमित एक्सरसाइज और एंटी-इंफ्लेमेटरी डाइट।पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ पर बात करते हुए वह बताती हैं कि 40–45 की उम्र के बाद हार्मोनल बदलाव के कारण हॉट फ्लैशेज़, मूड स्विंग्स और अनियमित पीरियड्स आम हो जाते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर डॉक्टर से सलाह जरूरी है।डिलीवरी को लेकर फैले मिथ्स पर भी चर्चा होती है। डॉ. राखी स्पष्ट करती हैं कि डॉक्टर जानबूझकर सी-सेक्शन नहीं करते, बल्कि मां और बच्चे की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होती है। नॉर्मल या सी-सेक्शन डिलीवरी का फैसला मेडिकल कंडीशंस पर निर्भर करता है।
इसके अलावा, गर्भावस्था के बाद वजन कम करने, ब्रेस्टफीडिंग के सही तरीके, एक्सरसाइज की सही टाइमिंग, गर्भनिरोधक विकल्पों, मेडिकल अबॉर्शन की सुरक्षा और प्रेगनेंसी प्लानिंग की सही उम्र जैसे अहम विषयों पर भी विस्तार से जानकारी दी जाती है।एपिसोड के अंत में डॉ. राखी यह संदेश देती हैं कि महंगी डाइट या सुविधाएं जरूरी नहीं—संतुलित भोजन, नियमित गतिविधि, जागरूकता और समय पर डॉक्टर से संपर्क ही अच्छी सेहत की असली कुंजी है। यह एपिसोड महिलाओं के लिए एक भरोसेमंद और ज्ञानवर्धक मार्गदर्शक की तरह है।
सेहत Talks : महिला स्वास्थ्य पर खुली, वैज्ञानिक और ज़मीनी बातचीत
“ज़िंदगी में आपसे कोई दो चीज़ें नहीं छीन सकता—एक आपकी सेहत और दूसरा आपका ज्ञान।”
बचपन में पिता की कही यह बात सेहत टॉक्स के पहले एपिसोड की बुनियाद बनती है। इसी सोच के साथ शो की होस्ट ज्योति गोयल ने महिला स्वास्थ्य से जुड़े उन सवालों को सामने रखा, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं या गूगल के भरोसे छोड़ देते हैं। यह शो उन तमाम भ्रमों को दूर करने की कोशिश है, जहाँ असली समाधान विशेषज्ञों से सीधा संवाद करके मिलता है।
खास मेहमान: डॉ. राखी आनंद अग्रवाल
इस एपिसोड की विशेष अतिथि रहीं प्रसिद्ध गायनेकोलॉजिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट डॉ. राखी आनंद अग्रवाल, जिन्हें गायनेकोलॉजी में 22 वर्षों का अनुभव है। बेंगलुरु से एमबीबीएस करने के बावजूद उन्होंने छोटे शहर में अस्पताल खोलकर यह साबित किया कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। वे एक वुमेन वेलफेयर फाउंडेशन भी संचालित करती हैं।
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11 साल से मेनोपॉज तक: महिला शरीर की यात्रा
डॉ. राखी ने बताया कि महिला होने की यात्रा पीरियड्स शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है। अगर 16–18 साल तक पीरियड्स न आएं, तो यह चिंता का विषय है और जांच ज़रूरी होती है। वहीं शुरुआती सालों में पीरियड्स का अनियमित होना सामान्य है, क्योंकि हार्मोनल सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता।
हाइजीन: पहली और सबसे ज़रूरी ज़िम्मेदारी
रिप्रोडक्टिव एज में यूट्रस से जुड़ी अधिकतर समस्याओं की जड़ खराब हाइजीन होती है। सफेद पानी, इंफेक्शन और अन्य दिक्कतों से बचने के लिए पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई, सही सैनिटरी पैड का इस्तेमाल, समय पर पैड बदलना और सही तरीके से डिस्पोज़ करना बेहद ज़रूरी है। डॉ. राखी ने ज़ोर दिया कि यह जानकारी मां से बेटी तक सही समय पर पहुंचनी चाहिए।
हार्मोनल असंतुलन और आज की लाइफस्टाइल
आज की वर्किंग और स्ट्रेस भरी ज़िंदगी महिलाओं के हार्मोन पर गहरा असर डाल रही है। जंक फूड, शुगर, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और लगातार तनाव की वजह से PCOD, PMS और एंडोमेट्रियोसिस जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉ. राखी के अनुसार, इन समस्याओं का पहला इलाज लाइफस्टाइल चेंज है, न कि सिर्फ दवाइयां।
पेरिमेनोपॉज: नजरअंदाज न करें संकेत
40 की उम्र के बाद शुरू होने वाला पेरिमेनोपॉज पहले भी था, लेकिन अब जागरूकता बढ़ी है। हॉट फ्लैशेज़, मूड स्विंग्स और अनियमित पीरियड्स को “नॉर्मल” मानकर नजरअंदाज करना सही नहीं है। जरूरत पड़ने पर गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेना जरूरी है।
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एक्सरसाइज और डाइट: हर उम्र की चाबी
डॉ. राखी का स्पष्ट संदेश है—चाहे PCOD हो, पेरिमेनोपॉज या मेनोपॉज, 30 मिनट की रोज़ाना फिजिकल एक्टिविटी अनिवार्य है। योग, वॉक, प्राणायाम या जिम—जो शरीर को सूट करे वही सही है। इसके साथ एंटी-इन्फ्लेमेटरी डाइट, ज्यादा फाइबर, प्रोटीन और कम शुगर सेहत के लिए फायदेमंद है।
प्रेगनेंसी और सी-सेक्शन से जुड़े मिथ
उन्होंने साफ किया कि सी-सेक्शन कोई “डॉक्टर की पसंद” नहीं, बल्कि मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए लिया गया मेडिकल फैसला होता है। नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश हमेशा प्राथमिकता होती है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार सही निर्णय लिया जाता है।
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ब्रेस्टफीडिंग और वेट लॉस
ब्रेस्टफीडिंग से न सिर्फ बच्चे को पोषण मिलता है, बल्कि मां की कैलोरी भी बर्न होती है। यह वजन घटाने में मदद करती है और ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी कम करती है। सही पोश्चर और नियमित फीडिंग बेहद जरूरी है।
गर्भनिरोधक और सुरक्षित विकल्प
डॉ. राखी ने चेतावनी दी कि खुद से गर्भपात की दवाइयां लेना खतरनाक हो सकता है। ओरल पिल्स, कॉपर-टी और अन्य विकल्प सुरक्षित हैं, लेकिन केवल डॉक्टर की सलाह से।
सेहत टॉक्स का पहला एपिसोड यह संदेश देता है कि महिला स्वास्थ्य पर चुप्पी नहीं, जानकारी और संवाद ज़रूरी है। सही समय पर जांच, संतुलित जीवनशैली और विशेषज्ञ की सलाह ही स्वस्थ भविष्य की नींव है।












