जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा में हुआ था। बता दें कि वह मयुरभंज जिले केमाया बदापौसी गांव की रहने वाली हैं। हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है। आदिवासियों के बीच द्रौपदि मुर्मू को महिलाओं की स्तिथि सुधारने के लिए जाना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गांव के प्रधान रह चुके हैं।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून सन् 1958 में हुआ था। बता दें कि उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया जिसके बाद उनके दोनो बेटे और एक बेटी ने जन्म लिया। द्रौपदी मुर्मू अपने दोनो बेटे और पति को खो चुकीं हैं। साल 2009 में उनके छोटे बेटे की म्रत्यू ने उन्हें झंझोकर रख दिया। फिलहाल उनकी बेटी है जिसका नाम है इतिश्री मुर्मू वह अभी भुवनेश्वर में रहती हैं। पति और बेटों की म्रत्यू के बाद द्रौपदी मुर्मू एक साधारण जीवन जीने वाली महिला बन गईं।
ब्रहम्माकुमारी आश्रम से मिली नई जिंदगी
इतना सब कुछ होने के बाद द्रौपदी मुर्मू मयुरभंज जिले के रायरंगपुर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में ध्यान और आध्यात्म की तरफ गईं। आपको बता दें कि मूर्मू आश्रम में समय व्यतीत करने से ही इस भरे दुख से बाहर निकल पाईं हैं। वहीं आश्रम की मुख्य प्रभारी बीके सुप्रिया का कहना है कि वह भावनात्मक रूप से थक गई थी। उनके पास कोई मानसिक शक्ति नहीं थी। क्योंकि वह साल 2000 से ब्रह्माकुमारियों के आश्रम को जानती थीं, वह हमारे पास आईं और आत्मसमर्पण कर दिया। उसके बाद ध्यान, आध्यात्म ने उनको बहुत शांति दी।
गरीबी में गुजरा था जीवन
द्रौपदी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन गरीबी को उन्होंने अपने आगे नहीं आने दिया बता दें कि उन्होंने अपनी मेहनत से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की । जिसकगे बाद उन्होंने एक शिक्षकग के रूप में अपनी बेटी को पढ़ाया बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में आने से पहले अपने करियर की शुरूआत एक शिक्षक के रूप में की थी। बता दें कि वह 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में कार्य कर चुकी हैं। । इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंटट टीचर के रूप में भी कार्य किया था।
बीजेपी में रहीं मंत्री
द्रौपदी बीजेडी और बीजेपी की गठबंधन के सरकार में भी मंत्री रह चुकी हैं और 2002 से 2004 तक उन्होंने राज्य में कई पद संभाले। द्रौपदी झारखंड की ऐसी पहली राज्यपाल थीं जिन्होंने 2000 में झारखंड के गठन के बाद 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। इसके साथ ही उन्होंने 2015 से 2021 तक राज्य के गवर्नर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।यदि वह इस बार राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाती हैं तो वह देश की पहली ट्राइबल राष्ट्रपति और साथ ही देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का खिताब अपने नाम करेंगी।