breakingDelhi CAG Report: दिल्ली विधानसभा (Delhi Vidhansaba) में आज मंगलवार, 25 फरवरी को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति और शराब (Excise Policy) की आपूर्ति से जुड़े नियमों में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आबकारी विभाग की नीतियों और उनके क्रियान्वयन में काफी कमी रही है। जिसकी वजह से सरकार को 2,026.91 करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ है।
CAG रिपोर्ट में हुए कई खुलासे
बता दें कि दिल्ली सरकार के कुल कर राजस्व का लगभग 14% योगदान आबकारी विभाग से आता है। इस विभाग के अंदर शराब और नशीले पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित करने का काम काज आता है। 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद केवल शराब पर उत्पाद शुल्क लागू रहा। आबकारी विभाग का आधे से ज्यादा राजस्व शराब की बिक्री से आता है।
2,026.91 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा
CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शराब नीति में कई ऐसे फैसले लिए हैं। जिनसे सरकार को नुक्सान हुआ है। आप के फैसले से दिल्ली सरकार को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
- खुदरा शराब की दुकानें नहीं खुलने से सरकार को 941.53 करोड़ का नुकसान हुआ है।
- सरेंडर किए गए लाइसेंसों को दोबारा नीलाम करने में सरकार पूरी तरह नाकामयाब रही। इससे सरकार को 890 करोड़ का नुक्सान हुआ।
- कोविड-19 के दौरान 144 करोड़ की छूट शराब कारोबारियों को दी गई। यह नुकसान भी सरकार को झेलना पड़ा।
- शराब कारोबारियों से सुरक्षा जमा राशि नहीं ली गई। जिससे सरकार को 27 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।
कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने में किसी भी नियम का सही तरीके से पालन नहीं किया गया है। कई मामलों में आबकारी विभाग ने बिना जांच-पड़ताल के लाइसेंस जारी कर दिए। साथ ही सरकार ने थोक विक्रेताओं को शराब की फैक्ट्री से निकलने वाली कीमत तय करने की स्वतंत्रता दी गई। इस तरह की कई गलतियां रिपोर्ट में साफ़ की गई है। सरकार ने कंपनियों से लागत मूल्य की जांच नहीं की, मुनाफाखोरी और कर चोरी की संभावना