China Molten Salt Nuclear Reactor: चीन को क्लीन एनर्जी टेक्नीक में बड़ी सफलता हाथ लगी है। चीनी वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक ऑपरेशनल थोरियम मोल्टन साल्ट रिएक्टर में नया ईधन ( Fuel) डाला है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने ईधन के रूप में थोरियम का इस्तेमाल किया गया है। इस लॉन्ग टर्म स्टेबल ऑपरेशन के जरिए चीन को अपनी ऊर्जा क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है। चीन की इस सफलता पर भारत भी अपनी नजर बनाए रख सकता है क्योंकि भारत में थोरियम का विशाल भंडार है।
1970 में शुरु हुआ था प्रोजेक्ट
बता दें कि चीन का थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर प्रोजक्ट 1970 के दशक में शुरु हुआ था। साल 2009 में वैज्ञानिक जू को अगली पीढ़ी की न्यक्लियर एनर्जी टेक्नीक को वास्तविक बनाने का काम सौंपा गया था। वहीं साल 2018 में एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर का निर्माण शुरु होने के बाद तेजी से यह अक्टूबर साल 2023 में बनकर पूरी तरह तैयार हो गया। जून 2024 तक यह अच्छे से चलने लगा था। वहीं इसके 4 महीने बाद रिएक्टर के चालू रहने के दौरान इसमें वापस थोरियम ईंधन भरने की प्रक्रिया पूरी की गई।
क्या है थोरियम?
थोरियम एक चांदी के रंग की धातु है जिसका नाम पुराने स्कैंडिनेवियन देवता थोर के नाम पर रखा गया है। यह यूरेनियम की तुलना में 200 गुना अधिक ऊर्जा पैदा करता है। यूरेनियम रिएक्टरों के विपरीत थोरियम मोल्टेन-साल्ट रिएक्टर (TMSR) छोटे होते हैं। पिघल नहीं सकते और उन्हें पानी से ठंडा करने की आवश्यकता भी नहीं होती है। इसके अलावा वे रेडियोधर्मी अपशिष्ट भी कम मात्रा में छोड़ते हैं।
पिछले साल चीन ने गोबी के रेगिस्तान में दुनिया के पहले TMSR पावर प्लांट के निर्माण को मंजूरी दी थी। 10 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाला यह पायलट प्रोजेक्ट 2029 तक शुरू होने की उम्मीद है।