92 साल का वो बूढ़ा वकील, जिसने Ayodhya मामले को अंजाम तक पहुंचाया
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने रामलला न्यास के हक में फैसला सुनाया है और मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ ज़मीन देने का फैसला सुनाया है। अयोध्या की विवादित ज़मीन का यह फैसला काफी लम्बी चली सुनवाई के बाद आया है। बता दें कि अयोध्या विवादित स्थल पर हिन्दू पक्षकार के वकील K PARASARAN ने 92 वर्ष की आयु में भी इस केस को लड़ने से पीछे नही हटे। 92 सालकेK PARASARAN को इंडियन बार का पितामह कहा जाता है। इन्होंने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में रामलला विराजमान की और से पक्ष रखा था।
40 दिन की लगातार सुनवाई से भी पीछे नहीं हटे
उच्चतम न्यालय ने जब 40 दिन की लगातार सुनवाई की बात कही तो भी वह इससे पीछे नही हटे। विरोधी पक्ष के वकीलों ने कहा कि यह काम परासरण के लिए मुश्किल होगा। यह सुनने के बावजूद भी इन्होंने ने हिम्मत नही हारी और लगातार अपनी दलील पेश करते रहे। हालांकि न्यालय ने उन्हें बैठ कर अपनी दलीलें पेश करने की इजाज़त दी लेकिन वह इस पर राज़ी नही हुए। उन्होंने कहा कि मैं भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करूंगा।
स्कन्ध पुराण के श्लोकों का ज़िक्र कर साबित किया राम मंदिर का अस्तित्व
परासरण इस केस को जीतने के लिए सभी संभावित कोशिश करते रहे। इन्होंने स्कन्ध पुराण के श्लोकों का ज़िक्र करते हुए राम मंदिर के अस्तित्व को साबित करने की कोशिश की। बात जब अयोध्या पर चली कानूनी लड़ाई पर करें तो के.परासरण का नाम सबसे ऊपर आता है। के.परासरण कांग्रेस महसचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए भी केस लड़ चुके हैं।
बता दें कि K PARASARAN का जन्म तमिलनाडु के श्रीरंगम में 1927 में हुआ था। इनके पिता भी एक वकील थे। इन्होंने 1958 में ही वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। इनको अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने “पद्म भूषण” से नवाज़ा था। मनमोहन सरकार ने इन्हें “पद्म विभूषण” से नवाज़ा था। वैंकेया नायडू के द्वारा इन्हें 2019 में “मोस्ट एमिनेंट सीनियर सिटिज़न” का अवॉर्ड मिला था।