नई दिल्ली: लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने भाषण दिया और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया। शाह ने कहा कि 2 जुलाई को छह माह का अंतराल खत्म हो रहा है और इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि पिछले एक साल के अंदर जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ों से उखाड़ फेंकने के लिए इस सरकार ने बहुत से काम किए हैं। जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र बहाल रहे ये भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम इसमें जरा भी लीपापोती नहीं करेंगे।
कश्मीर में साल के अंत तक चुनाव
शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इसी साल के अंत तक चुनाव कराने का फैसला करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने भी पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन, केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से बात करके निर्णय लिया है कि इस साल के अंत में ही वहां चुनाव कराना संभव हो सकेगा।
आतंकवाद पर बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन के दौरान जम्मू कश्मीर में एक साल की अवधि में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई गई है। एक साल के अंदर आतंकवाद की जड़ों को हिलाने के लिए इस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। पहले वहां कई साल तक पंचायत चुनाव नहीं कराए जाते थे लेकिन यही एक साल के अंदर वहां शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव कराए गए हैं।