नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया है। उन्होंने शनिवार दोपहर 12.7 बजे अंतिम सांस ली। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पिछले 9 अगस्त से उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालात लगातार गंभीर बनी हुई थी। अरुण जेटली को वेंटिलेटर पर लैटाया हुआ था। उनसे मिलने के लिए बीजेपी नेता समेत विपक्षी नेताओं ने भी एम्स का रुख किया था। डॉक्टर्स का कहना था कि उनकी हालात में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था। वहीं, शनिवार की दोपहर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
28 दिसम्बर 1952 को जन्म लेने वाले अरुण जेटली ने अपनी विद्यालयी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से 1957-69 में पूर्ण की थी। उन्होंने 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक की। उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री प्राप्त की। जेटली की गिनती नामचीन वकील के तौर पर भी होती थी। 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे अरुण जेटली का बीजेपी से जुड़ाव 1991 में हुआ, जिसके बाद अपनी प्रतिभा के दम पर वो 999 के आम चुनाव से पहले की अवधि के दौरान भाजपा के प्रवक्ता बन गए।
केंद्र में जब वाजपेयी के सरकार बनी, तब उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। वाजपेयी सरकार ने उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया। उन्होंने 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला।
उन्हें नवम्बर 2000 में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया था और एक साथ कानून, न्याय और कंपनी मामलों और जहाजरानी मंत्री बनाया गया था। भूतल परिवहन मंत्रालय के विभाजन के बाद वह नौवहन मंत्री थे. उन्होंने 1 जुलाई 2001 से केंद्रीय मंत्री, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री के रूप में 1 जुलाई 2002 को नौवहन के कार्यालय को भाजपा और उसके राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में शामिल किया। 2003 तक वो इस पद रहे। 29 जनवरी 2003 को उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल को वाणिज्य और उद्योग और कानून और न्याय मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने देश के सबसे बड़े कर सुधार के रूप में GST को पेश किया और सभी राज्यों से तालमेल स्थापित कर इसे सफलतापूर्वक लागू भी किया। जेटली के वित्त मंत्री रहते हुए ही सरकार ने नोटबंदी का एलान किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने ख़राब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने केंद्र में दुबारा मंत्री बनने से भी इंकार कर दिया था।
66 साल के अरुण जेटली को बीते 9 अगस्त को उस समय दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जब उन्हें सांस लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। यहाँ उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। एम्स में उनका हाल जानने बीजेपी सहित कई दलों के नेता भी पहुंचे थे। वहीँ आज उनका निधन हो गया। सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन के बाद अरुण जेटली के आकस्मिक निधन से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।