नई दिल्ली: Covid-19 3rd Wave: भारत में इस वर्ष अप्रैल और मई में कोरोना महामारी का जो भयानक दौर झेला है वो दौर फिर से न आए इसके लिए खुद को तैयार कर रहा है। महामारी की दूसरी लहर के दौरान इन दो माह में राजधानी दिल्ली समेत देश के दूसरे राज्यों के कई अस्पतालों में आक्सीजन खत्म हो गई थी। देश के कई राज्यों से आक्सीजन किल्लत की खबर सामने आई थी और उस वक्त की तस्वीर आज भी शरीर में सिहरन पैदा कर देती है।
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Covid-19 3rd Wave: मरीजों के लिए 600 अतिरिक्त बेड लगाए
दुनिया कोरोना वायरस के म्यूटेंट की खबरों को लेकर चिंतित है। डाक्टर अरुण प्रकाश के मुताबिक महामारी की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में मरीजों के लिए 600 अतिरिक्त बेड लगाए गए थे। वो बताते हैं कि इस दौरान हर रोज करीब 500 मरीजों को भर्ती के लिए वेटिंग लिस्ट में डाला जा रहा था। उनकी निगरानी में यहां का वाररूम काम कर रहा था।
आक्सीजन का उत्पादन किया जाएगा
भारत की बात करें तो देश के लगभग सभी अस्पतालों में इस दौरान अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। साथ ही आक्सीजन सप्लाई की मात्रा को बढ़ाने की तरफ भी कदम बढ़ाए गए हैं। पूरे देश में ही आक्सीजन के उत्पादन को करीब 50 फीसद तक बढ़ाने की तरफ विचार किया जा रहा है। इसका अर्थ है कि हर रोज 15000 टन आक्सीजन का उत्पादन किया जाएगा। लिंडे कंपनी का कहना है कि वो किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
देश में आक्सीजन की मांग बढ़ती है
यदि देश में आक्सीजन की मांग बढ़ती है तो वो विदेशों से इसकी सप्लाई को जारी रखेगी। इस कंपनी के साउथ ईस्ट हैड मनोज वाजपेयी का कहना है कि दूसरी लहर के दौरान कई तरह की परेशानियां सामने आई थीं। इसमें उत्पादन, इंफ्रास्ट्रक्चर और लाजिस्टिक भी शामिल है। कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर जानकारों का ये भी मानना है कि जिस तरह से वायरस म्यूटेट कर रहा है उसके लिए वैक्सीन न पाए बच्चों का बचाव बेहद जरूरी है।