नई दिल्ली: भारतीय ग्रामीण उत्थान समिति यानि ABGUS, जो एक स्वयंसेवी सिविल सोसाइटी संगठन है। ये समाज कल्याण के विभिन्न क्षेत्रों में काम करता है। ABGUS ने हिंदुस्तान युनिलिवर लिमिटेड के सहयोग से पंजाब के पटियाला ज़िले में स्थित नाभा ब्लॉक के गाँव ढिंगी में जल प्रबन्धन परियोजना का उद्घाटन किया। इस्तेमाल किए जा चुके पानी को रिसायकल करना और इसे सिंचाई के लिए उपयोग में लेना इस संगठन का प्रमुख काम है।
पानी की कमी का सामना करना पड़ता हर साल
ज्ञात हो की भारत के ज़्यादातर गाँवों में घरेलु एवं कृषि गतिविधियों के लिए पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। फसलों के लिए अधिक पानी की आवश्यकता, कम मात्रा में पानी की उपलब्धता एवं भूमिगत जल की अनियमित आपूर्ति आदि मुख्य कारण हैं,जो कृषि के लिए पानी की मांग पूरी करने में समस्या बनते हैं। जल प्रदूषण बढ़ने के कारण भी पानी की स्थायी आपूर्ति पर असर पड़ रहा है। इन सब चुनौतियों के परिणामस्वरूप भविष्य में हालात और भी बदतर हो सकते हैं। इसी जरुरत को महसुस करते हुए स्थायी जल प्रबन्धन की व्यवस्था किया गया।
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गाँव के तालाब में आकर मिलता है नालों का पानी
बता दें की ढिंगी गाँव के इस तालाब में गॉंव के नालों का पानी आकर मिलता है। इस परियोजना के तहत व्यर्थजल प्रबन्धन के लिए चार कुओं की प्रणाली के उपयोग की योजना बनाई गई है। इस पानी का उपयोग सिंचाई, बागवानी एवं ऐसे अन्य कार्यों के लिए किया जाएगा।
संत बाबा बलबीर सिंह सीशेवल द्वारा पेश की इस अवधारणा का उपयोग पंजाब के सीचेवाल में प्राथमिक उपचार के रूप में भी किया जाता है। जिससे पानी से ठोस कण, तेल एवं शेष सामग्री को निकाल कर अलग किया जा सकता है। पानी के कुंओं को नियमित रूप से साफ करना होता है। अन्यथा इसमें ठोस निलम्बित कण और व्यर्थ पदार्थ शेष रह जाते हैं। जो वैटलैण्ड के लिए हानिकर हो सकता है। साथ ही क्यारियों में रूकावट का कारण भी बन सकता है। ऐसे में प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से संचित सामग्री को निकालना पड़ता है।
2755 लोगों को मिलेगी फायदा
परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने पर श्री राजेश वर्मा, चीफ फंक्शनेरी एवं सचिव अखिल भारतीय ग्रामीण उत्थान समिति ने कहा, ‘‘350 परिवारों और कुल 2755 लोगों को लाभान्वित करने वाली इस परियोजना से ताज़े पानी का उपयोग कम किया जा सकेगा।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इस परियोजना ने जल प्रबन्धन एवं सशक्त सामुदायिक प्रयासों के लिए स्थायी प्रक्रियाओं को सक्षम बनाया है। व्यर्थ जल प्रबन्धन के लिए सशक्त समुदाय आधारित संगठन द्वितियक एवं तृतीयक हितधारकों के साथ मिलकर गाँव में जल संरक्षण के लिए काम करेंगे।