नई दिल्ली: Former CM Kalyan Singh : राजनीति की प्रयोगशाला, उत्तर प्रदेश में रोज़ नए-नए एलीमेंट बनते रहते हैं । इसी प्रयोगशाला से तमाम प्रयोगों, प्रयासों व संघर्षों के बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह निकले थे। कल्याण सिंह 1991 में यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे।
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मुख्यमंत्री भी ऐसे, जिन्होंने पहली बार परीक्षा में नकल को रोकने के लिए नकल अध्यादेश तक जारी किया। बोर्ड परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने वालों को जेल भेजने के इस कानून ने कल्याण सिंह को बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया । यूपी में किताब रख के चीटिंग करने वालों के लिए ये काल बन गया ।
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वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में, 425 में से 221 सीटें लेकर आने वाली कल्याण सिंह सरकार ने अपनी कुर्बानी दे दी। इतना ही नहीं, उन्होंने इसके लिए सजा भी काटी और वो हिंदू हृदय सम्राट बन गए। सरकार तो गई पर संघ की आइडियॉलजी पर कल्याण सिंह खरे उतरे। उस समय पार्टी में दो ही नाम थे, केंद्र में अटल बिहारी और यूपी में कल्याण सिंह।
पीएम मोदी व सीएम योगी ने जाना हालचाल
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं। उन्हें 6 जुलाई, 2021 को संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज , लखनऊ में भर्ती कराया गया था। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे हैं । पीएम नरेंद्र मोदी ने हालचाल जानने के लिए फोन किया था। उन्होंने कल्याण सिंह को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी फोन किया । अस्पताल के एक आधिकारिक बयान के अनुसार , ” यहां पहुंचने पर उनका रक्तचाप और दिल की धड़कन सामान्य पाई गई , लेकिन चेतना का स्तर थोड़ा कम था । उनकी पिछली बीमारियों को ध्यान में रखते हुए , उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है।”
कैसी रही Former CM Kalyan Singh की जीवन यात्रा?
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर हुआ था। इनका जन्म आजादी से पहले उस समय के अलीगढ़ के मधोलि नामक छोटे से गाँव मे हुआ था जो अब आजादी के बाद उत्तर प्रदेश मे पड़ता है। इनकी पत्नी का नाम रामवति देवी है। कल्याण सिंह के एक बेटा और एक बेटी है। बेटे का नाम राजवीर सिंह और बेटी का नाम प्रभा वर्मा है।
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राजनीति में आने से पहले रहे शिक्षक
राजनीति में आने से पहले वे RSS के वॉलेन्टीयर थे। वे अपनी उच्च शिक्षा समाप्त करने के बाद सबसे पहले शिक्षक बने थे। जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में नकल करने वालों के लिए सख्त कानून बनाए। उनकी सरकार ने 1992 में एंटी-कॉपींग एक्ट लागू किया था।
Former CM Kalyan Singh का राजनीतिक सफर
कल्याण सिंह पहली बार जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसके एक साल बाद, राइट विंग्स पोलिटिकल पार्टी के सहयोग से हिन्दू राइट विंग्स अकटीविस्ट ने मिलकर विवादास्पद बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। जिसके बाद इन्हें इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। उसके बाद वे उत्तर प्रदेश के अत्रौली और कासगंज के इलेक्शन में विधायक पद के लिए चुने गए।
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सितंबर 1997 से नवम्बर 1999 तक, वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 21 अक्टूबर, 1997 में बहुजन समाज पार्टी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। तब कल्याण सिंह ने कांग्रेस के विधायक नरेश अग्रवाल से हाथ मिलाकर उनके 21 विधायकों के समर्थन से अपनी नई पार्टी बनाकर अपनी सरकार बचा ली और इसके लिए उन्हें नरेश अग्रवाल को ऊर्जा मंत्री बनाना पड़ा।
दिसंबर 1999 मे कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और उसके बाद साल 2004 में एक बार फिर से भाजपा के साथ राजनीति से जुड़ गए। 2004 में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के रूप मे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से विधायक के लिए चुनाव लड़ा। 2009 मे उन्होंने भाजपा को भी छोड़ दिया और खुद एटा लोकसभा चुनाव के लिए निर्दलीय खड़े हुए और जीते भी।
राजस्थान व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का भी संभाला पदभार
उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार और जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रहते कई बार अतरौली के विधायक चुने गए। उन्हें 26 अगस्त, 2014 को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया और साथ ही उन्होंने 2015 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला।
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