नई दिल्ली: ISRO Updates: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के जियो इमेजिंग सैटेलाइट (GISAT-1) EOS-03 को आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। लेकिन लॉन्चिंग के बाद तकनीकी समस्या आ गई। जिससे इसे लॉन्च करने का मिशन ‘असफल’ हो गया। ISRO ने घोषणा की कि ‘मिशन विफल’ हो गया क्योंकि उन्हें क्रायोजेनिक इंजन से विवरण नहीं मिल रहा था। ISRO के चेयरमैन के. सिवन ने जानकारी देते हुए बताया कि क्रायोजेनिक स्टेज में आई तकनीकी विसंगति के कारण GSLV-F10/ EOS-03 मिशन पूरा नहीं हो सका।
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ISRO Updates:”क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति”-के. सिवन
आज सुबह 5.43 बजे इसका प्रक्षेपण निर्धारित किया गया था। EOS को जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट (GEO) में रखने के लिए जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F10) रॉकेट को लॉन्च किया जा रहा था। सारे स्टेज अपने तय समय से अलग होते चले गए। सैटेलाइट ने दो चरण सफलतापूर्वक पूरे किए। लेकिन 18 मिनट के बाद आखिरी स्टेज में EOS-3 के अलग होने से पहले क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खराबी आ गई। जिसके बाद इसरो को आंकड़ें मिलने बंद हो गए। बता दें कि इस उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का यह ISRO का तीसरा प्रयास था। इसे पहले 5 मार्च, 2020 को इसका प्रक्षेपण निर्धारित किया गया था। इसरो इस साल की शुरुआत में इसे फिर से लॉन्च करना चाहता था, लेकिन वोल्टेज की समस्या के कारण ऐसा नहीं हो पाया।
ISRO Updates: क्या है EOS-3 की मुख्य विशेषता ?
अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOS को पृथ्वी की निगरानी करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। यह उपग्रह भारत की क्षमताओं को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि इसे “रुचि के क्षेत्रों” की वास्तविक समय की छवियों को प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी मुख्य विशेषता यही है कि यह चिन्हित किए गए किसी बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियाँ लगातार अंतराल पर भेज सकता है। इसके अलावा यह प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद कर सकता था। यह उपग्रह देश के सशस्त्र बलों को संचालन की योजना बनाने में मदद कर सकता था।
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