जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: महान गायिका और भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से देशभर में शोक की लहर है। उनके निधन पर सरकार ने दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। क्या आप जानते हैं राष्ट्रीय शोक में क्या होता है। इसे लेकर आपके मन में कई सवाल होंगे। जैसे, किसी के निधन पर कैसे राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है? क्या इस दौरान सरकारी संस्थानों की छुट्टी रहती है? आइए आपको इस बारे में बताते हैं।
पहले और अब राष्ट्रीय शोक का नियम
पहले देश में केवल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके लोगों के निधन पर राजकीय या राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी। हालांकि आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में पहला राष्ट्रीय शोक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था। वे राष्ट्रपिता माने जाते हैं। उनके निधन के बाद जो नियम थे, उसके अनुसार पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का निधन हो जाने पर या फिर पूर्व में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति का निधन होने पर देश में राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी।
समय के साथ राष्ट्रीय शोक के नियम में बदलाव किए गए। बदले गए नियमों के मुताबिक, गणमान्य व्यक्तियों के मामले में भी केंद्र को यह अधिकार दिया गया कि विशेष निर्देश जारी कर सरकार राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकती है। इतना ही नहीं, देश में किसी बड़ी आपदा के वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है।
कौन कर सकता है इसकी घोषणा?
राष्ट्रीय या राजकीय शोक की घोषणा पहले केवल केंद्र से होती थी. केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे, लेकिन बदले नियमों के अनुसार, राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है. अब राज्य खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है. केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं. जैसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर हुआ था. केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग घोषणाएं की थीं।
राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार
किसी खास व्यक्ति को राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाना भी राष्ट्रीय शोक का ही अहम पहलू है। हालांकि यह अलग अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जैसे फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी के निधन पर उनकी अंत्येष्टि राजकीय सम्मान से हुई थी, लेकिन राष्ट्रीय शोक नहीं घोषित किया गया था। भारतीय सेना या अन्य फोर्स में शहीद हुए जवानों की अंत्येष्टि भी राजकीय सम्मान के साथ की जाती है। लेकिन राजकीय शोक की घोषणा नहीं होती।
आधा झुका हुआ रहता है राष्ट्रीय ध्वज
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक, राष्ट्रीय शोक के दौरान सचिवालय, विधानसभा समेत सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। वहीं, देश के बाहर भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में भी राष्ट्रीय ध्वज को भी आधा झुकाया जाता है। इसके अलावा किसी तरह के औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता। राजकीय शोक की अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन की भी मनाही रहती है।
क्या सार्वजनिक अवकाश होता है?
केंद्र सरकार के 1997 में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी अनिवार्य नहीं है। इसका प्रावधान खत्म कर दिया गया है। लेकिन राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए किसी व्यक्ति का निधन हो जाए तो छुट्टी होती है। हालांकि सरकारों के पास किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन के बाद सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का अधिकार है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के निधन पर कई राज्यों में एक दिन का सार्वजनिक अवकाश और 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था।