दिल्ली में प्लाज़्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों का इलाज़
कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच भारत में एक अच्छी खबर सामने आई है। अब केरल के बाद दिल्ली भी प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने जा रही है। फिलहाल प्लाज़्मा थेरेपी के अलावा इलाज़ का कोई विकल्प न होने के कारन इसे मंजूरी मिल गई है। शुरुआत में इस थेरेपी से ट्रायल के तौर पर बेहद गंभीर मरीजों का इलाज होगा। गौरतलब है कि , केंद्र सरकार के प्रोटोकाल के आधार पर दिल्ली सरकार इस तकनीक पर काम करेगी। इसके लिए सभी जरूरी मंजूरियां मिल गई हैं।
बुधवार को हुए समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल अनिल बैजल को ये जानकारी दी गई। बता दें कि , वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन समेत वरिष्ठ अधिकारी व चिकित्सक मौजूद थे। इसमें आईएलबीएस के डायरेक्टर डॉ. एसके सरीन ने कहा कि “दिल्ली सरकार को कॉन्वालेसेंट प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल बेसिस पर इस्तेमाल करने की जरूरी मंजूरी मिल गई है। अभी इससे गंभीर मरीजों का इलाज होगा। प्रदेश सरकार केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रोटोकॉल के आधार पर इस तकनीक पर असरदार तरीके से काम करेगी।”
वहीं , उपराज्यपाल ने जोर देकर कहा कि “हर एक इंसान की जान कीमती है। ऐसे में , हर मरीज के अच्छे से अच्छा इलाज करवाने के लिए सरकार को हर संभव कदम उठाने की जरूरत है। दिल्ली के सभी अस्पतालों व स्वास्थ्य विभाग के बीच संचार को मजबूर नेटवर्क बनाने की जरूरत है। किसी भी स्तर पर कोई खामी नहीं होनी चाहिए।”
अफवाहों को रोकना है जिम्मेदारी
उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि अफवाहों से बचने के लिए सभी कदम उठाए जाएं। इसके लिए पड़ोसी राज्यों से भी मदद ली जाए। सभी अधिकारियों को केंद्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन के लिए जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करवाने का आदेश भी उपराज्याल ने दिया है।
दिल्ली में पर्याप्त पीपीई , मास्क की भी कमी नहीं
स्वास्थ्य विभाग के सचिव का कहना है कि “पीपीई कीट पर्याप्त मात्रा में मिल गई है। दिल्ली सरकार ने 1.5 लाख पीपीई किट खरीदने का आर्डर दे दिया था, इसमें से रोजाना करीब 3500 मिल रही हैं। दो लाख पीपीई का टेंडर फाइनल कर लिया गया है। वहीं, पांच लाख एन95 मास्क का आर्डर दे दिया गया है। इसमें से 25000 की हर सप्ताह सप्लाई मिल रही है। इससे अगले मोर्चे पर कोरोना वायरस से लड़ने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।”
ये है प्लाज्मा तकनीक
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि “प्लाज्मा तकनीक में संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों के रक्त की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जो लोग कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं अगर वह लोग रक्तदान करेंगे तो ही प्लाज्मा तकनीक पर ट्रायल शुरू हो सकता है।”
कोरोनावायरस से संक्रमित जो लोग ठीक हो रहे हैं, उनके शरीर के प्लाज़्मा में कोरोनावायरस के खिलाफ़ एंटीबॉडी बन रही है। वहीं ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में संक्रमण बिलकुल नहीं है। थ्योरी है कि जो संक्रमण से बरी हो चुके हैं, वे प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं। इन स्वस्थ हो चुके लोगों के प्लाज़्मा में कोरोनावायरस के खिलाफ़ बनी एंटीबॉडी मौजूद होंगी. अब इस प्लाज़्मा को कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति को ट्रान्स्फ़र किया जाएगा. ट्रान्स्फ़र के बाद ये प्लाज़्मा उनके शरीर में वायरस से लड़ेगा और उन्हें रोगमुक्त करेगा. इस टेकनीक को passive immunisation कहते हैं .