नई दिल्ली- कल यानी मंगलवार को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। ये ग्रहण कई मायनों में खास है, क्योंकि ग्रहण का ऐसा योग 149 सालों बाद बना है। ये ग्रहण कई राशियों पर अपना प्रभाव डालेगा। इससे पहले जान लीजिये कि इस दौरान क्या करना चाहिए, क्या नहीं?
गुरूपुर्णिमा का खास त्योहार
मंगलवार 16 जुलाई को गुरूपुर्णिमा का खास त्योहार है। इसके साथ ही इस दिन इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण भी है। 149 सालों में बाद ऐसे ग्रहयोगों में चंद्रग्रहण का योग बना है। ये ग्रहण 16 और 17 जुलाई की आधी रात को लग रहा है। इस आंशिक चंद्रग्रहण को अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों को छोड़ पूरे भारत में देखा जा सकेगा।
ये चंद्र ग्रहण ‘खंडग्रास’ है
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, ये चंद्रग्रहण कई मायनों में बेहद खास है। ये चंद्र ग्रहण ‘खंडग्रास’ है, क्योंकि 149 साल बाद इस तरह का चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो गुरु पूर्णिमा के दिन लगेगा। इससे पहले इस तरह का ग्रहण साल 1870 में लगा था। गुरूपुर्णिमा के अगले दिन सावन के महीने की शुरूआत भी हो रही है और ये चंद्रग्रहण दोनों दिनों के बीचों-बीच पड़ रहा है। इस खास मौके पर कई तरह के योग बनने के आसार है, जो कि आपके जीवन पर प्रभाव डाल सकता है, लेकिन प्रभाव जानने से पहले जान लेते हैं कि चंद्रग्रहण का समय क्या है।
चंद्रग्रहण का समय
बता दें कि चंद्रग्रहण 16 और 17 जुलाई की आधी रात में शुरू होगा। भारत में चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 से शुरू होगा और ग्रहण का मध्य 3 बजे से होगा। इसके साथ ही ग्रहण का मोक्ष 4.30 बजे होगा। इस खंडग्रास चंद्रग्रहण की पूरी अवधि 2 घंटे 59 मिनट होगी। भारत में चंद्रमा 17 जुलाई की सुबह 5 बजकर 25 पर अस्त होगा। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, चंद्रग्रहण में 9 घंटे पहले से सूतक लग जाता है। इस लिहाज से चंद्रग्रहण का सूतक 16 जुलाई को दिन में 4.30 बजे से शुरू हो जाएगा।
ज्योतिषियों की राय
वहीं, ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्र ग्रहण के समय राहु और शनि चंद्रमा के साथ धनु राशि में होंगे। इससे ग्रहण का प्रभाव और बढ़ेगा और साथ ही सूर्य और चंद्र चार विपरीत के ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे। खंडग्रास चंद्रग्रहण करीब 15 से 30 दिनों में सभी राशियों पर अपना असर डालेगा।
वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून नाम दिया था
बताते चलें कि ये चंद्रग्रहण खास इसलिए भी है, क्योंकि इस दौरान चांद का आधा हिस्सा लाल और आधा हिस्सा ढ़का हुआ नजर आएगा। इससे पहले हुए 20 और 21 जनवरी को हुए चंद्रग्रहण में भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला था, जिसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून नाम दिया था। हालांकि, तब भारत में इस नज़ारे को नहीं देखा गया, लेकिन इस बार भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, कोरिया, यूरोप के कुछ हिस्सों और रूस आदि जगहों में देखा जा सकेगा।