Ambedkar Death Anniversary 2023: डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबा साहेब के नाम भी जाना जाता है। दरअसल, बाबासाहेब संविधान के निर्माता थे। इनके जन्म 14 अप्रैल 1891 को, तो मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी। इसलिए 6 दिसंबर को बाबा साहेब की पुण्यतिथि मनाई जाती है। पढ़िए उनके जीवन से जुड़े वो किस्से जिन्हें आप शायद नहीं जानते होगें। हालांकि आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश और बिहार के बेहतर विकास के लिए बाबा साहब ने 50 के दशक में इन राज्यों के विभाजन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन 2000 के बाद ही मध्य प्रदेश और बिहार को विभाजित करके छत्तीसगढ़ और झारखंड का गठन किया गया। भीमराव के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। दरअसल, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक विश्व के सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया।
ये हैं कुछ खास किस्से
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे।
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का असली उपनाम अम्बावाडेकर था। लेकिन, उनके शिक्षक महादेव अम्बेडकर ने स्कूल रिकॉर्ड में उन्हें अम्बेडकर उपनाम दिया।
- डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री पाने वाले पहले भारतीय थे।
- डॉ. अम्बेडकर एकमात्र भारतीय हैं, जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है। साथ ही अमेरिका में उनकी 19 फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
- भारतीय तिरंगे में “अशोक चक्र” को स्थान देने का श्रेय भी डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को ही जाता है। हालांकि, राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन पिंगली वेंकैया ने किया था।
- अंबेडकर ने दलित वर्ग को मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए ब्राह्मणों के खिलाफ भी कैंपेन किया।
- बाबासाहेब की निजी लाइब्रेरी “राजगीर” में 50,000 से अधिक पुस्तकें थीं और यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी थी।
- डॉ. बाबासाहेब द्वारा लिखित पुस्तक “वेटिंग फॉर ए वीजा” कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक पाठ्यपुस्तक है। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 2004 में दुनिया के शीर्ष 100 विद्वानों की एक सूची बनाई और उस सूची में पहला नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर का था।
- लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बाबा साहब ने 8 साल की पढ़ाई सिर्फ 2 साल 3 महीने में पूरी कर ली थी। इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन 21 घंटे पढ़ाई की थी।