Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ का पावन पर्व 13 जनवरी से प्रारंभ हो चुका है और दुनिया के हर कौने से श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने आ रहे है। महाकुंभ में अब तक 4 करोड़ से अधिक लोग डुबकी लगा चुके हैं। कुंभ के दौरान बाल नागा साधु कभी अखाड़े में लाठी का अभ्यास करते दिखते हैं, कभी गुरु सेवा में तो कभी भभूत रमाए, गेरुआ पहने गुरु के साथ पूजन-अर्चना में शामिल होते नजर आते हैं। महाकुंभ में देश भर से नागा साधु संगम में स्नान करने के लिए आ रहे हैं।
नागा साधुओं का अमृत स्नान पर पहला हक
बता दें कि अमृत स्नान करने का पहला अवसर नागा साधुओं को दिया जाता है। क्योंकि नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से ही। नागा साधुओं को सबसे पहले संगम में स्नान करने का पहले अधिकारी माने जाते है। काफी समय से यह परंपरा चली आ रही कि अमृत स्नान पर सबसे पहला हक नागा साधुओं का ही रहता है।
नागा साधु का 17 श्रृंगार
महाकुंभ के इस पवित्र शाही स्नान से पहले, नागा साधु एक अनुष्ठानिक श्रृंगार करते हैं। जिसे 17 श्रृंगार के रूप में जाना जाता है। यह प्रथा केवल एक अनुष्ठान नहीं है बल्कि प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं में निहित एक गहन आध्यात्मिक कार्य भी है। नागा साधुओं का शाही स्नान से पहले 17 श्रृंगार करना जरूरी माना जाता है और इसके बिना स्नान का फल नहीं मिलता है और शाही स्नान भी अधूरा माना जाता है। नागा साधु किसी न किसी अखाड़े का हिस्सा होते हैं और सांसारिक जीवन को त्यागकर, वे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करते हैं। वो भगवान शिव या विष्णु की पूजा में समर्पित रहते हैं।
नागा साधु बनने की शुरूआत कहां से होती है?
आमतौर पर नागा बनने की उम्र 17 से 19 साल होती है। इसके तीन स्टेज हैं- महापुरुष, अवधूत और दिगंबर, लेकिन इससे पहले एक प्रीस्टेज यानी परख अवधि होती है। जो भी नागा साधु बनने के लिए अखाड़े में आवेदन देता है, उसे पहले लौटा दिया जाता है। फिर भी वो नहीं मानता, तब अखाड़ा उसकी पूरी पड़ताल करता है।
नागा बनने के 3 स्टेज
- पहला स्टेज महापुरुष : गुरु प्रेम कटारी से शिष्य की चोटी काटते हैं।
- दूसरी स्टेज अवधूत : जीते जी खुद का पिंडदान, 108 डुबकियां लगानी पड़ती हैं।
- तीसरी स्टेज दिगंबर : जननांग की नस खींची जाती, कुंभ में शाही स्नान के बाद बनते हैं नागा।
बता दें कि इस समय पूरे देश में महाकुंभ की धूम जारी है। इस पावन पर्व में शामिल होने के लिए विभिन्न अखाड़ों से साधू-संत संगम में स्नान करने आ रहे हैं। ये पर्व 45 दिनों तक चलने वाला है। महाकुंभ 2025 26 फरवरी तक चलने वाला है।