जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: भारत में पिछले कुछ दिनों से मैरिटल रेप यानी वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर कानून बनाने और सजा की मांग की जा रही है। देश में इसको लेकर बहस भी जारी है। हाल ही के दिनों में ये मुद्दा ज्यादा चर्चा में आ गया जब दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने मैरिटल रेप पर कानून बनाने को लेकर फैसला सुनाया।
इस गंभीर मसले पर जज भी बंटे हुए नजर आए। जहां एक जज ने धारा 375 को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना। तो वहीं दूसरे जज ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध नहीं माना। दिल्ली हाईकोर्ट के जजों के खंडित फैसले के बाद से वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध मानने और कानून बनाने को लेकर बहस और तेज हो गई।
समाज के कई तबकों, कानून के जानकारों, यहां तक की महिलाओं की भी इस मसले को लेकर राय बंटी हुई हैं। लेकिन हकीकत में देश में मैरिटल रेप के आंकड़े डराने वाले हैं। नजर डालते हैं आंकड़ों और क्या कहता है इस पर भारत का कानून। साथ ही अन्य देशों में इस अपराध पर क्या प्रावधान है।
क्या है वैवाहिक दुष्कर्म?
जब पति किसी तरह के बल का प्रयोग कर अपनी पत्नी की सहमति के बिना जबरन उसका यौन उत्पीड़न करता है तो उसे वैवाहिक दुष्कर्म कहा जाता है। ऐसे मामलों में पति अक्सर पत्नी को चोट पहुंचाकर या किसी बात का डर दिखाकर जबरन उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाता है।
क्या कहता है भारत का कानून
इस मसले को लेकर भारत में अगर कोई महिला अपने पति के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत करती है तो उस पर बलात्कार का मामला दर्ज नहीं हो सकता है। भारतीय कानून में आईपीसी की धारा 375 में वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद बताया गया है। धारा 375 के अनुसार, अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है और पति ने पत्नी के मर्जी के खिलाफ जाकर जबरन उसके साथ संबंध बनाए हैं तो ये दुष्कर्म नहीं माना जाता।
इन देशों में अपराध है शादी के बाद जबरदस्ती
दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर मजबूत कानून बना हुआ है। जहां ये अपराध के दायरे में आता है और इस पर सख्ती सजा है। पोलैंड दुनिया का ऐसा पहला देश है जहां पर वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध माना गया है।
पोलैंड में साल 1932 में ही वैवाहिक दुष्कर्म के खिलाफ कानून बना दिया गया था।
साल 2018 तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में कुल 77 ऐसे देश हैं जहां वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने को लेकर स्पष्ट कानून बने हैं। 74 देश ऐसे हैं जहां महिलाओं के लिए अपने पति के खिलाफ रेप के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज करने के प्रावधान हैं।
वहीं, पूरी दुनिया में 34 देश ऐसे हैं जहां न तो वैवाहिक दुष्कर्म अपराध है और न ही महिलाओं को अपने पति के खिलाफ वैवाहिक दुष्कर्म के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। भारत इन्हीं देशों में से एक है।
दुनिया के 12 देश ऐसे भी हैं जिनमें ये प्रावधान है कि अगर बलात्कार का अपराधी पीड़ित महिला से विवाह कर लेता है तो उसे आरोपों से बरी कर दिया जाता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) जारी की है। रिपोर्ट के अनुसा, 18-49 आयु वर्ग की 3 में से लगभग 1 भारतीय महिला को किसी न किसी रूप में पति-पत्नी के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। लगभग 6% ने यौन हिंसा का सामना किया है।
NFHS-5 सर्वेक्षण (2019-21) 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों में लगभग 6.37 लाख घरों में आयोजित किया गया था। जिसमें जिला स्तर तक 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों शामिल थे।
यौन संबंध के लिए हिंसा के आंकड़े
सर्वे में बताया गया कि 5% महिलाओं ने यौन हिंसा के उन मामलों पर रिपोर्ट की जिनमें उनके पति ने यौन संबंध बनाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग किया जब वे नहीं चाहती थीं।
4% ने बताया कि उनके पति ने उन्हें धमकियों या अन्य तरीकों से यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया जो वे नहीं चाहती थीं। वहीं, 3% ने बताया कि उनके पति ने उन्हें वे यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया जो वे नहीं चाहती थीं।
सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं और हालात भारत में विवाह के बाद महिलाओं की स्थिति को बयां करते हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, यौन हिंसा से पीड़ित 45% शादीशुदा महिलाओं के शरीर पर किसी न किसी तरह के जख्म के निशान हैं। 17% महिलाएं तो गहरे घाव, हड्डियां और दांत तोड़ने जैसी ज्यादतियों को भी बर्दाश्त कर चुकी हैं। वहीं, 10% ऐसी हैं जिन्हें जलाया भी गया है।
देश में मैरिटल रेप जैसे मामले खाप पंचायतों में सुलझाए जाते हैं। जहां सरेआम औरत पर ही सवाल उठा दिए जाते हैं। विवाह के बाद पति को
दुष्कर्म को रिवायतों और रिवाजों से भी जोड़ दिया जाता है। कुछ प्रथाओं को देखें तो वे असलियत में वैवाहिक दुष्कर्म का ही एक रूप है। जरूरत है ऐसे मामले अब अदालतों में सुलझाए जाएं। ताकि औरत की इच्छा, ना और सहमति का महत्व समझा जा सके।