बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। 24 घंटे के भीतर उनके खिलाफ दो राज्यों, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के आरोप में मामले दर्ज किए गए हैं। तेजस्वी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक कार्टून शेयर किया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की गया रैली को “बयानबाजी की दुकान” बताया गया था। इसी को लेकर FIR दर्ज की गई है।
तेजस्वी ने क्या कहा था?
कार्टून में मोदी को एक दुकानदार के रूप में दिखाया गया, जिसके साइन बोर्ड पर लिखा था, “बयानबाजी की मशहूर दुकान”। इसके साथ तेजस्वी ने पोस्ट में लिखा था कि प्रधानमंत्री बिहार में एनडीए के 20 साल और अपने 11 साल के शासन का हिसाब दें। उन्होंने कहा, “आज गया में झूठ और बयानबाजी की दुकान सजेगी! बिहार की न्यायप्रिय जनता दशरथ मांझी की तरह आपके झूठ और बयानबाजी के पहाड़ों को ढहा देगी।” मोदी से बिहार में एनडीए के 20 सालों के साथ-साथ अपने 11 साल के शासन का हिसाब देने को कहा था उन्होंने कहा है कि,”11 साल अपनी और 20 वर्षों की एनडीए सरकार के 20 सालों का हिसाब दो?”
आज गया में लगेगी झूठ और जुमलों की दुकान!
प्रधानमंत्री जी, गया में बिना हड्डी की जुबान से आज झूठ और जुमलों का हिमालय खड़ा करेंगे लेकिन बिहार के न्यायप्रिय जनता दशरथ मांझी की तरह उनके झूठ और जुमलों के इन विशाल पहाड़ों को तोड़ देगी।
11 साल अपनी और 20 वर्षों की एनडीए सरकार के 20… pic.twitter.com/X1KRhb80pY
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 22, 2025
पोस्ट के बाद तेजस्वी के खिलाफ FIR
इस पोस्ट के बाद महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बीजेपी विधायक मिलिंद रामजी नरोटे की शिकायत पर तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 196(1)(ए)(बी), 356(2)(3), 352, 353(2) के तहत मामला दर्ज किया गया। वहीं, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बीजेपी की महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता की शिकायत पर सदर बाजार थाने में भी तेजस्वी के खिलाफ केस दर्ज हुआ। शिल्पी ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ तेजस्वी की अमर्यादित टिप्पणी से देशभर में गुस्सा है और पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
पीएम मोदी ने साधा था आरजेडी पर निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिन गया की जनसभा में राजद पर निशाना साधते हुए कहा था , “लालटेन राज में बिहार की दुर्दशा थी। गयाजी जैसे शहर अंधेरे में डूबे रहते थे। माओवादियों के कारण शाम के बाद आवागमन मुश्किल था। राजद की सरकारों ने जनता के पैसे का मोल नहीं समझा, उनके लिए यह सिर्फ अपनी तिजोरी भरने का साधन था।”
इन दो मामलों ने तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, और यह विवाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।