Shashi Tharoor Delegation : कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस वक्त भारतीय डेलिगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं। उनकी डेलिगेशन कोलंबिया पहुंच चुका है। लेकिन वहां पहुंचते ही शशि थरूर को निराशा हात लगी। दरअसल कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों को लेकर हमदर्दी और दुख जाहिर किया है। कोलंबिया के इस बयान ने ना केवल थरूर बल्कि भारत को भी निराश कर दिया है। भारत ने दुनियाभर में पाकिस्तान के आतंकवाद को उजागर करने के लिए 7 डेलिगेशन भेजे हैं।
शशि थरूर को हुई निराशा
कोलंबिया की प्रतिक्रिया पर थरूर ने कहा कि “भारत पर 22 अप्रैल को एक गंभीर आतंकवादी हमला हुआ। जब यह हुआ, तो निश्चित रूप से दुनिया के कई देशों ने इस आतंकवादी हमले की निंदा की, लेकिन यह केवल इतना ही था। कोई कार्रवाई नहीं की गई, यहां तक कि उस देश (पाकिस्तान) द्वारा भी नहीं, जहां से ये लोग निकले थे। किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया और किसी भी अभियोजन का प्रयास नहीं किया गया।”
कोलंबिया को लेकर बोले शशि थरूर
कांग्रेस सांसद ने कहा, “हम कोलंबियाई सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़े निराश हैं, जिसने आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति जताने के बजाय भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में हुई जानमाल की हानि पर हार्दिक संवेदना व्यक्त की। हम कोलंबिया में अपने मित्रों से कहेंगे कि आतंकवादियों को भेजने वालों और उनका विरोध करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। हमला करने वालों और बचाव करने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं और यदि इस मुद्दे पर कोई गलतफहमी है, तो हम ऐसी किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए यहां हैं। हम परिस्थितियों के बारे में कोलंबिया से विस्तार से बात करके बहुत खुश हैं। जैसे कोलंबिया ने कई आतंकवादी हमलों को झेला है, वैसे ही हमने भारत में भी झेला है। हमने लगभग चार दशकों तक बहुत बड़ी संख्या में हमलों को झेला है।”
कोलंबिया ने पाकिस्तान से जताई हमदर्दी
शशि थरूर ने कहा, “हमें लगता है कि शायद स्थिति को पूरी तरह से नहीं समझा गया था जब वह एक बयान कोलंबिया ने आतंकवाद के ठिकानों पर भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों के लिए संवेदना व्यक्त की) दिया गया था। समझ हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हम एक ऐसा देश हैं जो वास्तव में दुनिया में रचनात्मक प्रगति के लिए एक ताकत रहा है। हमें निश्चित रूप से उम्मीद है कि अन्य सरकारें उन लोगों से कहेंगी जो आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह और संरक्षण देते हैं कि वे ऐसा करना बंद करें। यह वास्तव में बहुत मददगार होगा, चाहे सुरक्षा परिषद में हो या उसके बाहर।”