नई दिल्लीः Navratri: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का खास महत्व है। मां की अराधना का पर्व नवरात्र में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों में देवी चंद्रघंटा को राक्षसों का वध करने वाली देवी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस बार 9 अक्टूबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि दोनों दिन की पूजा एक ही दिन होगी।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
देवी चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। इसीलिए मां को चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। देवी चंद्रघंटा सिंह पर विरजमान हैं और इनके दस हाथ हैं। इनके चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवा हाथ अभय मुद्रा में रहता है। वहीं, चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार हैं। पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है। कहा जाता है कि माता का यह रूप भक्तों के लिए बेहद कल्याणकारी है।
मां चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, दानवों के आतंक को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का स्वरूप लिया था। एक बार महिषासुर नाम के राक्षस ने देवराज इंद्र का सिंहासन हड़प लिया था। वह खुद स्वर्गलोक पर राज करना चाहता था। उसकी यह इच्छा जानकार देवता बेहद ही चितिंत हो गए।
देवताओं ने इस परेशानी के लिए त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की सहायता मांगी। यह सुन त्रिदेव क्रोधित हो गए। इस क्रोध के चलते तीनों के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई उससे एक देवी का जन्म हुआ। भगवान शंकर ने इन्हें अपना त्रिशूल और भगवान विष्णु ने अपना चक्र प्रदान किया। फिर इसी प्रकार अन्य सभी देवी देवताओं ने भी माता को अपना-अपना अस्त्र सौंप दिया। वहीं, इंद्र ने मां को अपना एक घंटा दिया। इसके बाद मां चंद्रघंटा महिषासुर का वध करने पहुंची। मां का यह रूप देख महिषासुर को यह आभास हुआ कि इसका काल बेहद नजदीक है। महिषासुर ने माता रानी पर हमला कर दिया। फिर मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार कर दिया। इस प्रकार मां ने देवताओं की रक्षा की।
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसके उपर माता को स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल छिड़कें और चौकी पर तांबे या मिट्टी का कलश रखें और उसके ऊपर नारियल रखें। फिर वैदिक मंत्रोंच्चार करें। पूजा के दौरान चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि मां को अर्पित करें।
मां चंद्रघंटा के मंत्र:
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप 11 बार करें।
मां चंद्रघंटा को लगाएं खीर का भोग
देवी चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी चीजें बेहद प्रिय हैं। नवरात्र में मां की पूजा के समय गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगायें तो माता अति प्रसन्न होंगी और भक्तों का कल्याण करेंगी।