जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढ़लता है, ढ़ल जाएगा ये एक मशहूर कव्वाली है। लेकिन इस कव्वाली की यह लाइन कई माइनों को बयां करती हैं। अब इस लाइन का इस्तेमाल भार्तीय क्रिकेटर विराट कोहली के लिए किया गया है। दरअसल भारतीय क्रिकेट के किंग विराट कोहली के लिए पिछले तीन साल से भारतीय फैन्स का जो रूप देखा है, वो एक ढ़लते सूरज की कहानी है। जिसकी सुबह कब होगी, कैसे होगी इसका इंतज़ार लंबा होता जा रहा है और हर तरह की उम्मीद खत्म हो रही है।
जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना ने टीम इंडिया के विजय रथ पर लगाम लगाई और एक साल के लिए मैच टाल दिया गया। अब एजबेस्टन में ये टेस्ट हुआ तो उससे पहले विराट कोहली के फैन्स पूरे जोश में थे। क्योंकि विराट कोहली का जो रौद्र रूप साल 2018 के इंग्लैंड दौरे पर देखने को मिला था, हर किसी को उम्मीद थी कि वही यहां पर भी देखने को मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में 11 और दूसरी पारी में 20 रन बनाने वाले विराट कोहली ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
विराट कोहली का ये बुरा पैच काफी लंबा चल रहा है, तीन साल से कोई शतक नहीं आया है. लेकिन अब दिक्कत शतक की नहीं है, अब दिक्कत ये है कि कोई बड़ी पारी भी नहीं आ रही है. टीम की जरूरत या हालात के हिसाब से जो मज़बूत 50-60-70 रनों की पारी की जरूरत होती है, विराट कोहली के बल्ले से वो भी मुश्किल ही निकल रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या विराट कोहली इस फॉर्म के साथ प्लेइंग-11 में जगह पाने के लायक हैं?
कब तक मिलेगी नाम के सहारे जगह?
6 दिसंबर 2019 के बाद से अभी तक विराट कोहली ने कुल 65 इंटरनेशनल मैच खेले हैं, इनकी 75 पारियों में उनके नाम 2509 रन हैं. जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज के लिए सबसे ज्यादा हैं, विराट ने इस दौरान 24 अर्धशतक जमाए हैं. उनका औसत 36.89 का रहा है, वह 8 बार 0 पर भी आउट हुए हैं. विराट कोहली से इतर इस पूरे कार्यकाल में रोहित शर्मा 4, केएल राहुल 5 शतक जमा चुके हैं.
भारतीय टेस्ट टीम के दो सीनियर खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा को कुछ वक्त पहले टीम से बाहर किया गया था. दोनों ही खराब फॉर्म से जूझ रहे थे, पुजारा ने 50 पारियों से कोई शतक नहीं जमाया तो अजिंक्य रहाणे भी दो साल से इसके इंतज़ार में थे. खराब पैच बड़ा तो दोनों को श्रीलंका के खिलाफ हुई सीरीज़ से बाहर कर दिया गया.
विराट कोहली के लिए अलग पैमाना क्यों?
सवाल ये है कि जब अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा को खराब फॉर्म के आधार पर टीम से बाहर किया जा सकता है, तो विराट कोहली के लिए अलग पैमाना क्यों है. माना विराट कोहली रिकॉर्डतोड़ बल्लेबाज हैं, टीम के पूर्व कप्तान हैं और सबसे बड़े बल्लेबाजों में से एक हैं. लेकिन अगर फॉर्म और रन बनाना पैमाना है, तो हर किसी के लिए वो समान ही होना चाहिए.
देखना ये होगा कि क्या टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ता इस तरह के बड़े और कड़े फैसले के लिए खुद को तैयार कर पाते हैं? या ऐसी नौबत आने से पहले विराट कोहली का बल्ला आग उगलता है?