Ayodhya : मुस्लिम पक्षकारों की हुईअहम बैठक
लखनऊ : Ayodhya पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मुस्लिम पक्षकारों ने अयोध्या मामले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का फैसला लिया है। ये फैसला लखनऊ में इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम नदवातुल उलेमा की बैठक में लिया गया। बता दे कि यह एक अनौपचारिक बैठक थी। जिसमें मुस्लिम पक्ष के कई बड़े चेहरे शामिल हुए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करने पर रज़ामंदी जताई। इस दौरान पक्षकारों से वकालतनामे पर हस्ताक्षर भी करवाया गया। बता दें कि इस बैठक में जफरयाब जिलानी भी शरीक रहे। अयोध्या मामले पर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक से पहले ही कई मुस्लिम पक्षकार अयोध्या पर पुर्नविचार अर्जी के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन इकबाल अंसारी और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बैठक से खुद को किनारा कर लिया है।
मस्जिद के बदले दूसरी जगह पर दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन भी मंजूर नहीं
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा है कि अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वो पुनर्विचार याचिका करेगा। उसे मस्जिद के बदले दूसरी जगह पर दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन भी मंजूर नहीं है। AIMPLB का कहना है कि वे दूसरी जमीन पाने के लिए अदालत नहीं गए थे, उन्हें वही जमीन चाहिए जहां पर बाबरी मस्जिद बनी थी।
पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने पर मुस्लिम पक्षकारों की बुलाई गई थी अहम बैठक
अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने पर मुस्लिम पक्षकारों की अहम बैठक बुलाई गई थी यह बैठक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की थी। जिसमें असदुद्दीन औवैसी भी मौजूद रहे। बैठक में सुन्नी वक्फ बोर्ड को आमंत्रण भेजा गया था लेकिन उनके तरफ से कोई बैठक में शामिल नहीं हुआ। वहीं पक्षकार इकबाल अंसारी ने बैठक का बहिष्कार कर दिया ,पुनर्विचार याचिका को लेकर बोर्ड के सदस्यों में मतभेद दिखा तो वहीं कुछ सदस्य बैठक छोड़कर बाहर आ गए थे। बता दे कि (AIMPLB )में दो राय बनी हुई नज़र आई, कुछ सदस्य चाहते है कि अयोध्या मामले में दुबारा याचिका दायर न हो, कुछ चाहते है। इनमें आपसी मतभेद जारी है।
नदवा मुमताज पीजी कॉलेज में बुलाई थी बैठक
बता दे कि यह बैठक नदवा कॉलेज में होनी थी ,सभी सदस्य के जमा होने के बाद अचानक आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने मीटिंग की जगह बदलकर नदवा मुमताज पीजी कॉलेज में बैठक बुलाई थी, जिस पर यूपी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने सवाल उठाया। मिली जानकारी के मुताबिक मंदिर मुद्दे पर उदार रुख रखने वाले, नदवा कॉलेज के प्रोफेसर सलमान नदवी, जैसे लोगों के कारण बैठक की जगह बदली गई थी। नदवी समेत कई प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवी बोर्ड के सदस्यों से अलग राय रखते हैं। उनका मानना है कि मुसलमानों को बहुत दिन पहले ही जमीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए थी।
बैठक नदवा कॉलेज में होती तो प्रोफेसर सलमान नदवी के समर्थक हंगामा कर सकते थे
अगर यह बैठक नदवा कॉलेज में होती तो प्रोफेसर सलमान नदवी के समर्थक हंगामा कर सकते थे।इन्हीं सब विवादों को देखते हुए मुमताज कॉलेज में बैठक करना तय किया गया । सांसद ओवैसी इस मामले में कट्टर रुख अपनाए हुए हैं, वही प्रोफेसर सलमान नदवी समेत कई सदस्य उदार रुख अपनाए हैं। वह लोग इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते। वह लोग चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ा जाना चाहिए।